पिता पुत्र का अनूठा नाता
पिता पुत्र का अनूठा नाता
यह नाता है बहुत अनूठा।
हर पिता देखना चाहता। अपने पिता अपने बेटे को अपने से ऊंचा।
करता उसके लिए मेहनत तन मन धन से संस्कार सिंचन करता।
कोई भी कठिनाई आए उस पर वह न आने देता।
कभी प्यार से कभी कठोरता से जिंदगी के सारे नियम समझाता।
खुद मेहनत कर खून पसीना एक कर बच्चे के सारे सुख इकट्ठे कर पाता।
जब बच्चा मंजिल पा जाता तो गर्व से पिता का सीना चौड़ा हो जाता।
उसको लगता आज मेरी मेहनत हो गई सफल।
मेरे बच्चे ने कर दिया मेरा नाम रोशन ,
और वह मन ही मन इतरा जाता।
जब कोई बोले यह देखो बाप बेटे की जोड़ी अनूठी
तब तो बाप का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता।
इस बदलते समय में बाप बेटे दोस्त बन के रह सकते हैं ।
थोड़ी हुकूमत कर सकते हैं। मगर ज्यादा हुक्म नहीं चला सकते ।
क्योंकि समय बदल गया है अब बड़ों हुक्म सा का समय नहीं रहा।
जो मेवाड़ पुरखों से चली आ रही परंपरा थी वह अब टूट गई है।
अब छोटों की भी नई सोच को साथ लेकर चलना पड़ेगा।
तभी बच्चे बाप और बेटे के साथ सामंजस्य बना रहेगा।
