ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?
ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?
कभी अधरों को छू जाती,
कभी नयनों से जा मिलती,
रोम-रोम पुलकित करती,
तुम्हें सारी रात जगा देगी,
ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?
जीवन को गुलजार बना देती,
जीवन में पुष्प खिला देती,
मौसम भी पतझड़ कर देती,
सावन में मेघा भी बरसाती,
ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?
एक रोज साहिल पर जा आना,
नित नए नए गीत सुना देगी,
ग़म का कोई बादल छाया तो,
पुरवाई सुकून दिला देगी,
ये हवा क्यों मंदर सी बहती है ?
तुम हवा से बाते करते रहना,
ये मेरा संदेश पहुँचा देगी,
तुम सुबह सैर में चले जाना,
ये सारी थकान मिटा देगी,
ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?
तुम कभी मेरी यादों में आना,
ये मेरा अहसास दिला देगी,
तुम घोर निशा में समां देखना,
ये धरा पर चाँदनी बिछा देगी,
ये हवा क्यों मंदर-सी बहती है ?