जमाने की न जाने , ये कैसी बयार
जमाने की न जाने , ये कैसी बयार
जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है
नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार है
नाम से ज्यादा बदनामी की पूछ
बजता डंका जोरदार है
नेक माने जा रहे बेवकूफ
धूर्त - बेईमानों की जय - जयकार है
अग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंग
हिस्ट्रीशीटरों की बहार ही बहार है
न जाने कहां रुकेगा ये सिलसिला
सोच कर भी मचता दिल में हाहाकार है !