ओढ तुझी लागे
ओढ तुझी लागे
माझ्या या मनाची |ओढ तुझ्या ठायी |
चित्त तुझ्या पायी| वाहीलिसे ||०||
दिसे दुरवरी |ठाव गे मंदिरी |
कळस ग दारी |रोवलिसे ||१||
जीव असा भग्न |भक्तीत या मग्न |
चित्ताने सलग्न | लागलीसे||२||
आज चाले वारी| रित मोडी जरी |
भाव भक्ती न्यारी| दिसलीसे ||३||
वाटे दुरवरी |भेटी लागी झुरी |
प्रांजळ निझरी | माऊलिसे ||४||
प्राण जाय जरी |मुखी नाम उरी |
अंतत: भेट री | विठ्ठलासी ||५||
भेदाभेद नाही| उचंनिच पाही |
अंतरी भक्ती ही| जपलिसे||६||
आजी दिनू लाभे |सखा तूचि भेटे |
ओढ मना लागे |भेटीचिया ||७||
वारी मी चालते | पंढरीस जाते |
मनी साठवाते |सावळी या ||८||
आज लागी दुर |सखा पंढरीत |
ओढ ति अक्रीत |वाटलीसे ||९||
कशास गा झुरे| जोडुनिया करे |
ओंजळी घे भरे |भावलिसे ||१०||
विठू माय बाप | पंढरी ग जात |
तयाची संगत| लाभलीसे ||११||
वारी वार सुटे | भाव परी तुटे |
जीवा आसुसते | अंतरीया ||१२||
दिव्य तो सोहळा | वारीचा चांगला |
मोद हा आगळा | भावलिसे||१३||.