मधुयामिनी
मधुयामिनी
मधुयामिनी नील-लता
हो गगनी कुसुमयुता
धवलित करि पवनपथा
कौमुदि मधु मंगला--
दिव्य शांति चंद्रकरी
आंदोलित नील सरी
गिरिगिरिवरि, तरुतरुवरि
पसरे नव भूतिला--
सुप्रसन्न, पुण्य, शांत
रामण्यकभरित धौत
या मंगल मोहनांत
विश्वगोल रंगला
