गुलाब की पंखुड़ी
गुलाब की पंखुड़ी


लिख रहा हूँ उसके बारे में,
जो हर पल मुस्कान लाती है
मेरे चेहरे पर।
जो घर से दूर
मेरा घर बन जाती है
जिसके होते,
मुझे मेरे अपनों की कमी
नहीं सताती है।
लिख रहा हूँ उसके बारे में,
जिसे नींद मेरे बिना नहीं आती है,
मेरी बातों को समझती है,
हर ग़लत आदत को मुझसे दूर कर,
खुद एक अच्छी आदत बन जाती है।
लिख रहा हूँ उसके बारे में,
जो मेरे सामने अपना बचपना,
बेझिझक ज़ाहिर कर देती है।
और कहीं उदास होने लगूँ,
अपनी बातों से प्रेरित कर देती है।
लिख रहा हूँ उसके बारे में,
जो मेरे लिए दुनिया से लड़ जाती है,
गुलाब की पंखुड़ी है,
जो जीवन मेरा सुगंधित बनाती है।