ज़िन्दगी
ज़िन्दगी


कितनी उम्मीदें थी तुझसे
ज़िंदगी
तूने हर बार रुलाया है
ज़िंदगी
पर तु भूूल गयी
ज़िन्दगी
मैं खुद से कई वादे कर रखें हैं
ज़िन्दगी
कोई बात नही
जिंदगी
तूने हर बार गिर के जीना सिखाया है
ज़िन्दगी
गलत सही क्या हैै
तूने सिखाया है
ज़िन्दगी
पर फिर भी तूने रूलाया तो है ना
ज़िन्दगी!