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Ashutosh Atharv

Comedy Fantasy

4  

Ashutosh Atharv

Comedy Fantasy

व्याधि सम्मेलन

व्याधि सम्मेलन

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धरती के सभी छोटे बङे सम्मानित व्याधियों, रोगों को ह्रदय से आभार कि आपलोग रोगों के साम्राज्य स्थापित करने मे योगदान प्रदान कर रहे है।आज हमलोग अभी तक के प्रयास की समीक्षा कर आगे के लिए लक्ष्य का निर्धारण करेंगे।सम्मेलन मे उपस्थित सभी प्रतिभागियों से निवेदन है कि अगर आप मनुज जाति के शुभचिंतक है, तो बिना समय गँवाये, आप जा सकते है।

और अंत मे सम्मेलन के फाईनांसर दवा माफिया कम्पनी को अद्भुत सहयोग के लिए साधुवाद। डर के माहौल और रोगो के लिए उचित वातावरण तैयार करने वाले सोशल मीडिया के प्रतिनिधिमंडल को अंतःकरण से सैल्यूट। ये संबोधन रोगो के कुलश्रेष्ठ, अपने नाम से खौफ पैदा करने वाले,तपेदिक साहब का चल ही रहा था कि हल्के लाल रंग का शेरवानी पहने गुस्से मे ज्वर, अपनी जगह पर विचार रखने खङे हो गये, साहब! हमलोग बात रोग की करते है और आयोजक, दवा को रखें है, इससे अपने समाज मे गलत संदेश जायेगा।

 तपेदिक साहब, ज्वर को हाथ से बैठने की इशारा कर बोले- बुखार साहब! इसमे कोई शक नहीं कि आप हमारे समाज का सबसे सेक्यूलर और लिबरल चेहरा है। पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप भरे पंचायत मे दवा की बेइज्जती कर दें, इनके योगदान को कैसे भूल सकते है?देखिए हैजा साहब को, जिनके नाम का डंका बजता था कौलरा के नाम से, थोडी समन्वय के अभाव में दवा का सहयोग हमलोग को नहीं मिला, नतीजा क्या हुआ? मात्र 2 रू के ORS से सब ठीक हो रहें और डर खत्म।हमें हीं ले, हम राजरोग के उपाधिधारक थे और आज क्या हैं? पहचान बताने मे शर्म आती है।

तभी आदतन देर से आकर सभा में छाने वाले अति गुस्सैल कैंसर का प्रवेश हुआ और मंच पर पूरी टीम के साथ कोरोना को विराजमान और अपने लिए स्थान नहीं देख तमतमाते हुए सभाकक्ष में स्थान ग्रहण किया। आते ही हंगामेदार भाषण दिया कि पुराने असरदार रोगों को अपमानित कर, किसी नये नवेले को महिमामंडित करना,कहाँ तक उचित है? जब ऐसे सम्मेलनों मे भी कैंसर को इज्जत नही मिलेगी तो दूनिया क्या खाक डरेगी ? जबकि पिछले कई सालों से मैं बेस्ट परफार्मर रहा हूँ। मेरा कोई कोरोना से जलन नहीं है, पर हूँ तो रोग ही ना, अपना फ्यूचर का मुझे भी डर है।जहाँ देखो, जिसे देखो, कोरोना- कोरोना किए जा रहा है, जैसे हमलोगो की उपस्थिति ही नहीं।

स्थिति को संभालने के लिए मलेरिया जी उठे और क्रिकेट की भाषा में कौतुक अंदाज में बोले- किसी समय हम भी फास्ट बाॅलर हुआ करते थे ,इस समाज के नाक थे, प्लेग के साथ हमारी जोङी आज भी लोगों में सिहरन भर देती है, गांव के गांव खाली कर देते थे,सभी का रोल सराहनीय है, कोई ओपनिंग में कमाल किया, आप मिडिल आर्डर में, पर अब फिनिसर की भूमिका में कोरोना का कोई जोङ नही।

मलेरिया की बात सुन कैंसर तुनक कर बोला - अब मच्छर से होने वाला रोग भी हमें उपदेश दे रहा है।यहाँ गुरू सदृश मधुमेह साहब बैठे हैं,अदब है समाज के लिए काम किया है ,लिहाज है, इसलिए मुंह पर बंदिश है, नहीं तो सभी के सामने दवा के साथ मिलकर, आपलोग जो षड्यंत्र कर रहे है, राई का पहाड बना, डर का धंधा कर रहें हैं, का पर्दाफाश कर देता।मैं अपने मेरिट पर यहाँ हूँ, किसी प्रोपेगेंडा के भरोसे नहीं।

सभी को शान्त कर चेचक साहब ,पोलियो के सहयोग से डंडे के सहारे खङे हुए। दुख हुआ!आज की घटना देख।हमारे समाज ने सभी को इज्जत दी है, कैंसर साहब !आप भी बहुत ही कम उम्र मे छा गये थे।अगर इसी प्रकार खुद में लङते रहे तो मनुज का जीतना तय है।एक बात ध्यान रखें, दवा और डाक्टर हमारा दुश्मन नहीं हैं बल्कि ये दोनों पर निर्भर हो, इंसान कुछ लापरवाह हो सकता है, जो अपने हित मे है।दुश्मन है वो सोच, जो मनुष्य को खान पान पर नियंत्रण रख, स्वस्थ रखने को प्रेरित करे, योगा, सादा जीवन, शुद्ध भोजन के साथ अनुशासनबद्ध जीवन से ध्यान हटा रहे। इसके लिए आधुनिक जीवन शैली का प्रचार प्रसार कर उलझाए रखना होगा। 

अभी कोरोना को सर्वसम्मति से ताज पहनाकर, अपने-अपने मुहीम मे लग जायें।हां,अपने सम विचार रखने वाले मीडिया डिस्कशन में लोग भेजें जो वैक्सीन, सोशल डिसटैन्सिग, मास्क पर फोकस ना करें अपितु हतोत्साहित करने के लिए मौत, संक्रमित लोग,को हाईलाइट कर, डर का माहौल बनाने में सहयोग करें। तभी कोरोना की जीत में अपनी जीत होगी और तभी मनुज का हार संभव होगा।


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