ताजा पानी
ताजा पानी
एक बार एक सेठ अपने व्यवसायिक बैठक,अधीनस्थों के साथ कर रहा था।तभी सेठ नये नौकर ज्ञानू को पानी लाने के लिए बोला।
ज्ञानू दौङकर पास रखे पानी से भरे ग्लास सेठ को पीने के लिए दिया।
ना जाने क्यों सेठ गुस्सा हो,ग्लास का पानी ज्ञानू के चेहरे पर फेंक दिया और चिल्लाकर बोला "ताजा पानी दो"।
तभी बैठक से उठकर एक कर्मचारी ज्ञानू को झिङकते हुए बोला- बहुत कामचोर हो ज्ञानू! पास ही रखे मग का पानी तुम्हें नहीं दिखा?
दूसरे कर्मचारी बोल पङा -मग का पानी क्यों? उससे ताजा तो बाल्टी का पानी होगा।
सभी लोग ताजा पानी, ताजा पानी का रट लगाने लगे। ज्ञानू दौङकर बाल्टी के पास पहुँचा ही था कि एक्वागार्ड का पानी ज्यादा ताजा है किसी ने सुझाव दिया ।
ज्ञानू- हूँ! इसमें तो रात भर से पानी जमा है ताजा क्या होगा ?
"तो दौङकर छत के उपर रखा पानी टंकी से ले आओ" का आदेश मैनेजर साहब ने दिया।
ज्ञानू बेचारा क्या करता? तीन छत की सीढियाँ चढ पानी टंकी के पास पहुँच हांफते हुए ताजा पानी मांगा।
छत पर बैठे पानी टंकी का लेवल देखने वाला हंसते हुए पूछा -ताजा पानी का फितूर कब से और क्यों पाल लिए? जिससे प्यास बुझ जाए वही ताजा है।
भाई मेरा फितूर नहीं है सेठ का आदेश है।
इतना सुनते वह आदमी बोला -भाई हमारी पानी से ज्यादा ताजा तो म्यूनिसिपल के पानी टंकी का होगा, सेठ की बात है, मेरा नाम नहीं लेना।
ज्ञानू दौङकर बङे पानी टंकी के पास गया और "ताजा पानी सेठ मांगा है" बोलते हुए बदहवास जमीन पर गिर गया।पानी टंकी वाला मुंह पर पानी का छींटा मारा और बोला - भाई मेरे टंकी में तो जमीन के बोरिंग से पानी आता है, पता नहीं कितने दिनों से जमीन में पानी फंसा है,इसे ताजा तुम्हारे सेठ मानेंगे या नहीं।पास के दूसरे पानी टंकी पर देख लो, वहां गंगा से पानी आता है। गंगा सुनते ही ज्ञानू सोचा -पटना का पानी ताजा है या बनारस का या हरिद्वार का या गंगोत्री का? हिमालय पर बर्फ के रूप में साला कितने सालों तक पङा होगा?
हिम्मत कर खाली हाथ ही सेठ के पास आकर बोला- सेठ! तुम्हारा और मेरा जीवात्मा जितना पुराना है,पानी उतना ही पुराना है। जैसे आत्मा ना जन्म लेता है और ना मरता है, उसी तरह ना पानी बना सकते हो ना खत्म कर सकते हो। जैसा तुम्हारा हमारा जन्म होता है वैसे ही पानी भी केवल रूप बदलता है। जब से सृष्टि है तब से तुम हो, हम है और ये पानी है। कई जन्मों में मैं तुम्हारा मालिक था और तुम मेरा नौकर पर एक जन्म में मैं तुम्हें जलील क्या कर दिया उसी का पाप आज हम भोग रहे हैं।
