STORYMIRROR

Ayush Kumar Singh

Abstract Inspirational

3  

Ayush Kumar Singh

Abstract Inspirational

वर्तमान

वर्तमान

3 mins
198

ढलते सूरज की खूबसूरती से नजऱ हटाकर ज़रा एक पल तस्वीर की ख़ामोशी को शान्त चित्त से समझ कर देखो। अरे..विश्वास करो हृदय आनंद से झूम उठेगा ,जब देखोगे तुम उस नन्ही सी बच्ची को जो खड़ी है अकेली घने मेघ जैसे दरख़्त की छाया में, जिसमें ना मोह है ना समझ है जीवन के विभिन्न आयामों की, जिसे सिर्फ परवाह है तो केवल वर्तमान की, वह जानती है कि उसके पास केवल वर्तमान है जिसका वह मासूमियत को अपने अंदर समेटे हुए बिना किसी फिक्र के आनंद ले सकती है ।

नज़र नहीं गयी ना तुम्हारी उस साईकल चलाने वाले व्यक्ति पर कर दिया ना उसे भी नज़रअंदाज ,क्यों ही जाएगी नज़र..? बंध चुके हो तुम भी भविष्य के डर में लग गए हैं तुम्हारी दृष्टि पर सामाजिक विडम्बनाओं के ताले ! उन तालों को सच की चाबी से खोलकर कोशिश करो समझने की, उस व्यक्ति के पास विभिन्न सुख साधनों की कमी होने के वावजूद तुमसे अधिक सुख हैं क्योंकि उसे जीवन की सबसे विकट बीमारी जिसे हम अक्सर 'चिंता' कहते हैं, नहीं है। वह नहीं सोचता भूत और भविष्य के बारे में ,उसे नहीं पता कल उसके परिवार का पेट कैसे भरेगा, उसे नहीं परवाह है बीते हुए कल की ,कि कल वह भूखा रह गया था, इन सब विचारों को त्याग कर वह फिर अगली सुबह उठता है नई उम्मीद के साथ और चल देता है फिर काम पर अपने परिवार की खुशियां देने की कोशिश में, और जब वापस आता है सबके भोजन की व्यवस्था करके तो परिवार के साथ आनंद से बैठ कर भोजन करता और सो जाता बिना किसी चिंता के भोर के इंतज़ार में।

चलो अच्छा..अब देख लो ढ़लते सूर्य को..सिर्फ देख रहे हो ?

शायद देख ही रहे होगे खूबसूरती को उसकी ! महसूस करो उस ढ़लते सूर्य की किरणों को जिन्हें देखकर अंतर्मन क्षण भर मात्र में शांत हो जाता, समझो प्रतिदिन उस सूर्य से मिलने वाली शिक्षा को कि जीवन के भी सूर्य की भांति तीन चरण होते हैं..सूर्योदय अर्थात हमारा जन्म वह समय जहाँ से जीवन का आरंभ मात्र होता है, उस क्षण कोई नहीं पहचान सकता कि सूर्य (तुम्हारा) का प्रकाश कितना तीव्र होगा सभी बस अपना अनुमान मात्र लगाते हैं ,क्या किसी के अनुमान लगाने मात्र से सूर्य अपना पथ परिवर्तन कर देता? नहीं ना..! तो तुम क्यों कर लेते पथ परिवर्तन उन समस्याओं के डर से जिनकी केवल आशंका मात्र है..? सूर्य यदि पथ बदलकर वापस चल दे तो क्या कभी वह तीव्र प्रकाशवान हो पायेगा..? नहीं..! दोपहर, यही दूसरा चरण है सूर्य (तुम्हारा) का जब वह अपने चरम पर प्रकाशित होता है। तीसरे चरण में फिर इसी प्रकाश और सूर्य(तुम्हारे) के मध्य कुछ विपदा रूपी बादल आते है कुछ तो बेहद भयावह आवाजों के साथ बेहद घने होते हैं जिसमें सूर्य कुछ समय के लिए शांति से छुप जाता है और अपने प्रकाश से उन बादलों को चीरने की कोशिश करता रहता है और धीरज से बादल छंटने का इंतज़ार करता और फिर जब उसका प्रकाश दुनिया पर पड़ता तो उसकी चमक एक अलग मुकाम पर होती है जहाँ दुनिया सूर्य से नज़रें नहीं मिला पाती ,सूर्य का प्रकाश इतना तीव्र होता उस समय कि नज़र मिलाने की कोशिश करने वाले के पलक आंखों की रक्षा करते हुए स्वयं बन्द हो जाया करते हैं..।।

            


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract