वृक्षारोपण
वृक्षारोपण
रीमा लगातार अपने बेटे को आवाज दे रही थी। कोई प्रत्युत्तर न पाकर वह बेचैन हो गई। घर के हर कमरे में झांक आई। बाथरूम में तो दो-दो, तीन-तीन बार जाकर देखी।
अब उसकी बेचैनी बढ़ने लगी। गर्मी की सुन-सान दोपहरी। सड़क पर परछाई भी नजर नहीं आ रही थी। रोहित के सभी मित्रों के घर फोन लगा कर पूछ लिया। सभी बच्चे घर में थे रोहित के सिवा। पति को लगातार फोन करने लगी। वहाँ से भी कोई प्रत्युत्तर न पाकर रीमा फफक कर रो पड़ी। तभी उसे रोहित की आवाज सुनाई दी। आँखें खोली तो मिट्टी से सने हाथों को लिए रोहित खड़ा था।
प्यार या डांट के लिए रीमा के मुँह खुलने से पहले रोहित विजयी मुस्कान से बोल पड़ा - "मम्मा आज मैंने चार पेड़ लगाए। पता है क्यों..? अपने पर्यावरण को बचाने के लिए। कल रौनक और मोहित भी मेरे साथ पेड़ लगाएगा।
रीमा के आँखों से अश्रुधार बह निकली और उसने पांच वर्षीय पुत्र को गले से लगा लिया और मुख से निकला -'शाबाश।
