वो स्वप्न्न
वो स्वप्न्न
शायद तुमने भी बुना होगा,
एक स्वप्न्न अजनबी सा,
कभी की होंगी अनजान सी बातें,
कुछ ख्यालों में ही सही,
कभी मौन में भी।
शायद कहा होगा कुछ मुझसे,
शायद सुना भी मैंने,
जबाब भी दिया मौन में,
एक अलग सा,
प्यारा सा वह पल,
जिया तुमने भी
और मैंने भी,
जो बांध गया हमें,
एक अटूट प्रेम में,
जो अजर,अमर हैं आज भी।।