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Amar Chand

Horror Thriller

4  

Amar Chand

Horror Thriller

वो कमरा जो रात में खुलता था

वो कमरा जो रात में खुलता था

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गाँव के आख़िरी सिरे पर बना वह मकान वर्षों से बंद पड़ा था।
चारों तरफ़ झाड़ियाँ उग आई थीं, छत जगह-जगह से टूटी हुई थी और दीवारों पर अजीब से निशान बने थे।
लेकिन उस मकान की सबसे डरावनी बात यह नहीं थी।

डरावनी बात थी—
उस मकान का एक कमरा, जो सिर्फ़ रात में खुलता था।

गाँव वाले कहते थे कि दिन में उस कमरे का दरवाज़ा पत्थर की तरह जकड़ा रहता है।
कोई कितना भी ज़ोर लगा ले, वह नहीं खुलता।
लेकिन जैसे ही रात के 12 बजते,
वह दरवाज़ा अपने आप चरमराते हुए खुल जाता था।

जो भी उस कमरे में गया…
वह कभी पहले जैसा नहीं लौटा।


---

🚶‍♂️ शहर से आया रवि

रवि शहर में रहने वाला पढ़ा-लिखा लड़का था।
छुट्टियों में वह अपने गाँव आया था।
गाँव की ये कहानियाँ उसे बचकानी लगती थीं।

“डर सिर्फ़ दिमाग़ में होता है,”
वह हँसते हुए कहता।

लेकिन उसकी दादी…
जब भी उस मकान की बात आती, चुप हो जातीं।
उनकी आँखों में डर साफ़ दिखता था।

एक रात रवि ने पूछ ही लिया—
“दादी, उस कमरे में ऐसा क्या है?”

दादी ने काँपती आवाज़ में कहा—
“उस कमरे में जाने वाला… अपनी यादें छोड़ आता है।”


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⏰ वो रात

रवि को नींद नहीं आ रही थी।
घड़ी की सुई धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी।

11:58… 11:59…

और फिर—

12:00

उसी पल गाँव में तेज़ हवा चली।
कुत्ते रोने लगे।
और दूर उस पुराने मकान से
दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई।

रवि का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
लेकिन डर से ज़्यादा उसके अंदर जिज्ञासा थी।

वह टॉर्च लेकर उस मकान की तरफ़ चल पड़ा।


---

🏚️ पुराना मकान

मकान के अंदर अजीब सी ठंडक थी।
दीवारों से सीलन टपक रही थी।
जैसे ही रवि अंदर पहुँचा,
उसे लगा कोई उसे देख रहा है।

और तभी उसने देखा—

वह कमरा।

दरवाज़ा खुला हुआ था।
अंदर से हल्की पीली रोशनी आ रही थी।

रवि ने काँपते हाथों से टॉर्च जलाकर अंदर कदम रखा।


---

🖼️ दीवार की तस्वीरें

कमरे की दीवारों पर कई तस्वीरें लगी थीं।
पुरानी… धूल से भरी हुई।

रवि एक-एक करके उन्हें देखने लगा।

अचानक उसकी साँस रुक गई।

एक तस्वीर में…
वह खुद था।

वही चेहरा।
वही कपड़े।
नीचे तारीख़ लिखी थी—

10 साल पहले।

“ये कैसे हो सकता है?”
रवि पीछे हटने लगा।

तभी दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया।


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👂 फुसफुसाती आवाज़

कमरे में अंधेरा घना हो गया।
और तभी उसके कान में आवाज़ आई—

“तू यहाँ पहली बार नहीं आया है, रवि…”

रवि चिल्लाया—
“क…कौन हो तुम?”

आवाज़ फिर आई—
“हर बार तू सच जानने आता है…
और हर बार अपनी यादें छोड़ जाता है।”

रवि को सिर में तेज़ दर्द होने लगा।
उसे flashes दिखने लगीं—

वह खुद…
हर कुछ साल बाद
इस कमरे में आता हुआ।


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🧠 सच्चाई

उस कमरे में एक पुरानी डायरी पड़ी थी।
रवि ने उसे खोला।

उसमें उसी की handwriting थी।

> “अगर मैं यह पढ़ रहा हूँ,
तो इसका मतलब मैं फिर भूल चुका हूँ।
यह कमरा यादें छीन लेता है।
लेकिन बदले में सच दिखाता है।”



रवि की आँखों से आँसू बहने लगे।


---

🌅 अगली सुबह

सुबह गाँव वालों ने उसे उसी कमरे में पाया।
वह ज़िंदा था।
लेकिन उसकी आँखों में कोई पहचान नहीं थी।

उसने पूछा—
“मैं कौन हूँ?”

और उस कमरे की दीवार पर
एक नई तस्वीर टंगी थी—

रवि की।
नीचे आज की तारीख़ लिखी थी।

दरवाज़ा धीरे-धीरे बंद हो रहा था…
अगली रात के इंतज़ार में।


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