STORYMIRROR

Amar Chand

Horror Thriller

4.5  

Amar Chand

Horror Thriller

वो कमरा जो रात में खुलता था – Part 2

वो कमरा जो रात में खुलता था – Part 2

3 mins
4

वो कमरा जो रात में खुलता था – Part 2
जहाँ यादें खत्म होती हैं, वहाँ सच शुरू होता है
🌄 सुबह की अजीब शुरुआत
सुबह की धूप गाँव की गलियों में फैल चुकी थी।
लेकिन रवि की आँखों में रोशनी नहीं थी।
वह चारपाई पर बैठा था,
लोग उसे घेरकर खड़े थे।
“तुम ठीक हो?”
किसी ने पूछा।
रवि ने खाली नज़रों से सबको देखा और कहा—
“आप लोग… कौन हैं?”
गाँव में सन्नाटा छा गया।
👵 दादी की टूटती उम्मीद
दादी धीरे-धीरे आगे बढ़ीं।
काँपते हाथों से रवि का चेहरा छुआ।
“रवि… मैं तेरी दादी हूँ।”
रवि ने सिर हिलाया।
“माफ़ कीजिए… मुझे कुछ याद नहीं।”
उस पल
दादी की आँखों से आँसू नहीं गिरे—
उनकी उम्मीद गिर गई।
📓 डायरी जो सच जानती थी
दादी ने वह पुरानी डायरी निकाली
जो रवि के हाथ में मिली थी।
“इसे पढ़,”
उन्होंने कहा।
रवि ने पहला पन्ना खोला।
और जैसे ही उसने पढ़ना शुरू किया—
उसके सिर में तेज़ दर्द उठा।
🧠 टूटी यादों की वापसी
शब्द पढ़ते ही
उसके सामने दृश्य उभरने लगे—
वही कमरा
वही दरवाज़ा
वही पीली रोशनी
और…
वह खुद।
हर कुछ साल बाद
वह वहाँ लौटता था।
हर बार एक सवाल लेकर
और हर बार
खुद को वहीं छोड़कर।
😨 सवाल जो कभी नहीं बदला
डायरी में एक लाइन बार-बार लिखी थी—
“अगर मैं फिर लौटा हूँ,
तो इसका मतलब सच अभी अधूरा है।”
रवि की साँस तेज़ हो गई।
“कौन सा सच?”
उसने खुद से पूछा।
🌑 रात फिर आने वाली थी
सूरज ढलने लगा।
गाँव वाले डर के मारे
अपने-अपने घरों में बंद हो गए।
दादी ने रवि का हाथ पकड़ा।
“आज रात कहीं मत जाना।”
रवि ने पहली बार
डायरी से नज़र हटाकर
उस मकान की तरफ़ देखा।
और बोला—
“अगर मैं नहीं गया…
तो ये कभी खत्म नहीं होगा।”
⏳ 12 बजने से पहले
घड़ी फिर उसी जगह पहुँच रही थी।
11:55…
11:56…
रवि अब डर नहीं रहा था।
डर तो वह कई ज़िंदगियाँ पहले
उसी कमरे में छोड़ आया था।
उसने डायरी जेब में रखी
और मकान की ओर चल पड़ा।
🚪 दरवाज़ा पहले से खुला था
इस बार
दरवाज़ा चरमराया नहीं।
वह पहले से खुला था।
जैसे किसी को
रवि का इंतज़ार था।
👁️ कमरे का असली चेहरा
कमरा वैसा नहीं था
जैसा वह याद करता था।
दीवारों पर तस्वीरों की जगह
अब नाम लिखे थे।
सैकड़ों नाम।
और सबसे ऊपर—
रवि।
बार-बार।
🩸 कमरे की आवाज़
वह आवाज़ फिर गूंजी—
“तू हर बार आधा सच जानकर चला जाता है।”
रवि चिल्लाया—
“पूरा सच क्या है?”
कमरा हँसा।
“ये कमरा यादें नहीं छीनता,
ये उन्हें बचाता है।”
😱 भयानक सच्चाई
आवाज़ बोली—
“जो बाहर की दुनिया में सच जान लेता है,
वह ज़िंदा नहीं रहता।
इसलिए हम यादें ले लेते हैं…
ताकि इंसान बचा रहे।”
रवि समझ गया।
यह कमरा
किसी को नहीं मारता।
यह दुनिया से बचाता है।
🧩 आख़िरी फैसला
रवि के सामने दो रास्ते थे—
सच पूरी तरह जान ले
और कभी बाहर न लौटे
सब भूलकर
फिर एक सामान्य ज़िंदगी जिए
उसने डायरी खोली
और आख़िरी लाइन लिखी—
“अगर कोई यह पढ़े…
तो कमरे में मत आना।
कुछ सच
इंसान के लिए नहीं बने होते।”
🌅 अगली सुबह… फिर वही
सुबह गाँव वालों ने देखा—
मकान फिर से बंद था।
कमरा…
पत्थर की तरह जकड़ा हुआ।
रवि अपने घर में बैठा था।
शांत।
सामान्य।
लेकिन…
उसकी आँखों में
कभी-कभी
पीली रोशनी झलक जाती थी।
और आधी रात को
वह अक्सर बुदबुदाता—
“अगली बार…
शायद कोई और आएगा।”
🔚 जारी रहेगा…
अगर आप जानना चाहते हैं
कि अगला कौन होगा,
और क्या सच वाकई बाहर आ पाएगा—
तो Part 3 के लिए Follow करें।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror