वो जब याद आए बहुत याद आए
वो जब याद आए बहुत याद आए
फिल्म पारसमणि का यह गीत, जो मुहम्मद रफ़ी की सुनहरी आवाज़ में मैंने तुम्हारे वॉकमैन पर सुना था, तब मुझे यह नहीं पता था कि आने वाले सालों में यह गीत तुम्हारी ही याद दिलाया करेगा। तुम्हारी याद को मैंने हमेशा दवा के रूप में लिया, आज भी मुझे मर्ज-ए-इश्क़ है। अब देखो, यह जिंदगी है और फ़ैज़ ने भी लिखा है कि मेरे महबूब तेरे अलावा इस जमाने में और भी ग़म है, यही नहीं तेरे वस्ल की राहत के सिवा और भी राहतें हैं। तेरे जाने के बाद राहतें भी आई, ग़म भी मिले और फिर से इश्क़ भी हुआ।
इश्क़ ने हमेशा मुझे तकलीफों के ताज से ही नवाजा है, पर मैं भी तेरा आशिक हूँ। समंदर में आज भी मेरी नाव साहिल को ढूंढती ,लहरों के साथ है। कई मोहतरमा मेरे दिल में आई, कईयों के दिल पर मैंने दस्तक दी, कसम उपरवाले की, मेरी तबियत पर चांटे आज भी पड़ते हैं। अब तो फजीहत की मुझे आदत हो चली हैं। समझ नहीं आता, मेरी मुहब्बत में कमी क्या हैं। खैर अब इतना नहीं सोचता, क्योंकि वो हमेशा मजबूर ही मिली, कभी घर से, कभी समाज से, कभी खुद से। सारी मजबूर लड़कियों को मुहब्बत करने का "लीगल अग्रीमेंट" उपरवाले ने मेरे साथ ही किया हैं। इन मजबूर हूरों की सरदार तुम ही थी।
याद हैं ना, मैं कोडिंग किया करता था। गेमिंग का भी बड़ा शौक था मुझे। पर तुम्हारे जाने ने मुझे किताबों में धकेल दिया। 2007 से सीधा में 1977 में चला गया। 22 की उम्र में 55 साल के बंदे जैसा हो गया था मैं। जब तुम थी तब मैंने मधुबाला खरीदी थी, दस दिन तक उसे पढ़ता रहा और फिर एक दिन तुम पर कविता लिख दी थी। तुमने मुझे फोन करके वो कविता ब्लॉग पर से हटाने को बोला। उस समय तो मैंने हटा दी थी, आज बोलती तो तुमसे पूछ लेता कि क्या तुमने अपना नाम पेटेंट करवा रखा था? एक तुम्ही तो नहीं जिसका यह नाम है।
आजकल कोरोना ने कहर ढाया हुआ हैं। रोज़ कुछ न कुछ बुरा ही सुनने को मिलता है। ग़म कोई सा भी हो, दवा मेरी एक ही हैं, तुम्हारी याद। तुम्हें याद कर लेता हूँ तो थोड़ी राहत मिल जाती हैं। ना जाने क्यों तुम मुझे उस दिन भी क्यों याद आए थे, जब उसने भी मुझे छोड़ दिया। वो भी एक अलग कहानी हैं, तुम मिलोगी तो सुना दूंगा या मेरे किसी नोवेल में पढ़ लेना।
चलो,अब जाओ। फिर तब याद आना जब ये कोरोना चला जाए। आजकल फिर से मुझे मुहब्बत हुई है और जल्द फिर से फजीहत होने वाली है। पर मुहब्बत करना भी जरूरी है मेरे लिए, नहीं तो लिखूँगा कैसे??
सिरफिरा आशिक़

