विष बेल
विष बेल
"सारे फसाद की जड़ यह लैपटॉप है।" कहते हुए मीरा ने निशा से लैपटॉप छीन लिया। उस पर बने अधखाये 'एप्पल' को देखकर निशा के मन में आया कि सारे फसाद की जड़ तो यह सेब है जो आदम और हव्वा ने खाया था। जिसने उनमें प्रेम भाव जागृत किया। नितिन के प्रेम में पड़ने के कारण ही वह स्वयं अपनी माँ के क्रोध का कारण बनी।
"नहीं केवल प्रेम नहीं, मेरा भी योगदान है इस दुनिया में इश्क को बनाने में।"एक आवाज आई।
"कौन ?" निशा ने इधर-उधर देखा। कोई नहीं था।
"मैं अनंग हूँ। तुम्हारे अंदर हूँ।" फिर से आवाज आई।
"अनंग ? मैं समझी नहीं।"निशा को आश्चर्य हुआ।
"लोग मुझे 'कामदेव' के नाम से जानते हैं। मैं बिना शरीर धारण किए ही इस संसार के प्राणियों में बसता हूँ।"
"और मैं कामना। मैं भी तो हूँ। बिना कामना के कामदेव किस काम के?" एक मधुर स्वर उभरा।
"तुम ? तुम तो बस चुप ही रहो। तुमने और तुम्हारी सखी 'वासना' ने मिलकर तो कलियुग में हाहाकार मचा रखा है। नाम मेरा बदनाम हो रहा है।" कामदेव क्रोध से कांपती आवाज़ में बोले।
अब निशा को अन्तर्द्वन्द समझ में आने लगा। इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती माँ का स्वर कान में पड़ा,"लो अपना लेपटॉप,बस कालेज के प्रोजेक्ट का काम करना। दोस्तों से चैटिंग नहीं।"
निशा आँख मलते हुए उठ कर बैठ गई।
फिर से उसकी नज़र कटे हुए 'एप्पल' पर पड़ी। उसे लगा,कटा सेब बोल पड़ा, "सारे फसाद की जड़ वासना है 'विष बेल' कहीं की।"