विनी
विनी
विनी के रिश्ते की बात चल रही थी। विनी बहुत सुंदर थी और उसने बी टेक कर लिया था। कई प्रस्ताव आये हुए थे। एक दिन उनके किसी रिश्तेदार ने एक फोटो और बायोडाटा भेजा। फोटो इतना शानदार था कि विनी उस पर रीझ गई। बायोडाटा देखा तो पता चला कि मानव सेना में मेजर है और उसके पिता ब्रिगेडियर। उसकी मम्मी प्रोफेसर।
प्रस्ताव सबको जंच रहा था लेकिन अड़चन एक ही थी कि मानव सेना में अफसर है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। विनी ने तो जबसे मानव का फोटो देखा था , उसी दिन से वह उसकी हो गई थी। जब विनी से उसकी राय पूछी गई तो उसने कहा : जीवन में जो मिलना होता है, वह मिल जाता है और उतना ही मिलता है जितना मुकद्दर में होता है। सेना में काम करने वाले सभी लोग तो शहीद नहीं होते ? और यदि मेरे मुकद्दर में विधवा होना लिखा ही है तो आजकल तो दुर्घटनाएं भी बहुत होती हैं, उनसे भी मैं विधवा हो सकती हूं। सेना के अधिकारियों की जिंदगी एक अलग ही होती है अतः मुझे तो इसमें कोई समस्या नजर नहीं आती है।
अब तो अन्य किसी की आपत्तियों का कोई अर्थ ही नहीं रह गया था। शीघ्र ही दोनों का विवाह हो गया। हनीमून पर पूरा फ्रांस और ब्रिटेन घूम कर आये थे दोनों। विनी को ऐसा लगा कि इन दो महीनों में ही उसने अपनी सारी जिंदगी जी ली थी। मानव इतना हंसमुख स्वभाव का होगा , यह उसने कल्पना भी नहीं की थी। विनी तो उसकी भक्तन बन गई थी। एक मिनट की भी जुदाई सहन नहीं कर पाती थी वह। कभी कभी तो उसकी मम्मी उसे छेड़ते हुए कहती कि हमने तुझे पच्चीस वर्ष प्यार दुलार दिया वो सब चंद दिनों में ही खत्म हो जायेगा , यह नहीं सोचा था। लेकिन साथ में ही वो यह भी कह देती थी कि इससे अच्छी बात और किसी मम्मी के लिए क्या होगी कि उसकी बेटी अपनी ससुराल में इतने आनंद से रह रही है कि उसे मायके आने में भी जोर आता है। भगवान ऐसी ससुराल हर लड़की को दें।
विनी की शादी को पांच साल हो गए। इसी बीच विनी के एक बेटी हुई। विनी उसका नाम मानव के नाम पर मानवी रखना चाहती थी लेकिन मानव जिद पर अड़ गया कि बिटिया का नाम मम्मी यानी विनी के नाम पर रखा जाएगा। और उसका नाम रखा गया विनिता।
मानव की पोस्टिंग कारगिल में हो गई। एक बार तो विनी का दिल धड़का लेकिन उसने सोचा कि यह तो काम का हिस्सा है। कभी कारगिल तो कभी सियाचिन। कहीं भी हो सकती है मानव की पोस्टिंग। उसने एक झटके में बुरे खयाल दिल से निकाल दिये।
जब मानव आया तो वह उससे ऐसे लिपट गई जैसे कोई बेल किसी पेड़ से लिपट जाती है। पूरे एक महीने रहा था मानव इस बार। मानव ने उसे समझाया कि कारगिल में आतंकी हमले होते ही रहते हैं। भगवान ना करे कल को उसे कुछ हो जाए तो ...
विनी ने उसके होंठों पर अपना हाथ रख दिया और उसको आगे कुछ भी कहने से रोक दिया। मानव ने जबरन उसका हाथ हटाकर दो बातें कही
एक, उसकी शहादत पर आंसू नहीं बहायेगी।
दो, उसकी शहादत के बाद वह शादी करेगी।
विनी ने केवल पहली बात पर ही वचन दिया। दूसरी को सिरे से नकार दिया। दोनों में खूब वाक युद्ध हुआ पहली बार। पर जीत विनी की हुई। मानव वापस चला गया।
इस बार विनी का दिल रह रह कर धड़क रहा था। रात में भी कई बार उसकी नींद खुल जाती थी। जब भी नींद खुलती, वह अपनी नन्ही सी बेटी विनिता को अपनी बांहों में कस लेती और उसमें वह मानव का प्रतिबिंब देखती थी। अब वह अपनी सास और ससुर का भी पूरा ध्यान रखने लगी थी। उसकी सास भी कभी कभी कह देती थी कि तू तो अब मेरी सास की तरह मेरा ध्यान रखने लगी है। विनी आश्चर्य से पूछती कि पुराने जमाने में तो सास अपनी बहुओं को बहुत प्रताड़ित करतीं थीं फिर आपकी सास कैसे ये सब कर लेती थी। तो सास कहती कि मेरी सास कहती थी कि मेरा बेटा फौज में है और तूने यह जानकर भी मेरे बेटे को पसंद किया है , ये कोई छोटी बात नहीं है। बस , तेरी इसी बात ने मेरा मन जीत लिया और अब तेरा ध्यान रखना मेरी जिम्मेदारी है। विनी सास बहू का ऐसा प्रेम देखकर दंग रह गई।
दिन बड़ी तेजी से गुजर रहे थे कि एक दिन वह खबर आ गई जिसे कोई नहीं चाहता था। आतंकवादियों ने सेना के बेस कैम्प पर रात में हमला कर दिया। मानव अलग भवन में था लेकिन आतंकवादियों से मुकाबला करने उधर आ गया था। छः आतंकवादी थे। मानव के साथ एक लेफ्टिनेंट भी था। दोनों ने बहादुरी दिखाते हुए उनका सामना किया और उनको नेस्तनाबूद कर दिया। मरते मरते एक आतंकी ने एक बम उनकी ओर उछाल दिया। मानव ने अपने लेफ्टिनेंट को धक्का देकर दूर कर दिया और खुद ने उस बम को जूते की ठोकर से किक मारकर परे फेंक दिया लेकिन इसी बीच वह फट गया। मानव की उस टांग के परखच्चे उड़ गए और वह वहीं शहीद हो गया।
जब यह दुखद समाचार घर पहुंचा तो मानव की मां बेहोश हो गई। पापा ने एंबुलेंस बुलवा ली। विनी पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसकी रुलाई आने वाली थी कि उसे अपना वह वादा याद आ गया कि वह रोयेगी नहीं। उसने बड़ी हिम्मत करके खुद को संभाला और विनिता को अपनी बाहों में कस कर मानव का अहसास करती रही। इससे उसे बड़ा साहस मिला और अब उसने अपनी सास को भी संभाल लिया। इतने में विनी के मम्मी पापा भी आ गये और विनी की बहादुरी देखकर दंग रह गए। अब घर में एक भी सदस्य के आंसू नहीं आ रहे थे। मानव की शहादत का सम्मान करना ही उन सबका उद्देश्य रह गया था।
अगले दिन मानव का पार्थिव शरीर आ पहुंचा। विनी ने मानव के मुख को देखा और एकटक देखती रह गई। उसने अपने होंठ मानव के होंठों पर रखे और उसे महाप्रयाण की इजाजत दे दी। अंतिम संस्कार नन्ही विनिता के हाथों से कराया गया ।
नेपथ्य में जोर जोर से नारे गूंज रहे थे।
जब तक सूरज चांद रहेगा
मानव तेरा नाम रहेगा।
इस घटना के कई साल बाद मानव के मम्मी पापा और विनी के मम्मी पापा ने विनी को दूसरी शादी के लिए बहुत कहा, मनाया लेकिन वह टस से मस नहीं हुई। विनिता को भी सेना में अफसर बनाने का एकमात्र उद्देश्य रह गया था उसका।
समाप्त

