Rita Singh

Drama Inspirational

2.6  

Rita Singh

Drama Inspirational

उपवन

उपवन

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हाड़ कंपाने वाली पहाड़ी ठंड आज कुछ कम लग रही थी। बाहर धूप सेंकती वृद्धाओं को जैसे जीवन मिल गया था। मोहिनी ने एकबार सरसरी निगाहों से उन्हें देखा फिर आश्रम के भीतर घुस गई। मोहिनी और शेखर ने शादी के बाद एक निश्चय किया था कि वे बुजुर्गो के लिये ऐसा "बसेरा" बनायेगा जहां हर उन बुजुर्गो को अपनापन का घर देगा जिसे अपनों ने ठुकराया है। मगर इस आश्रम को सजाते वक्त मोहिनी को कहाँ पता था कि एक दिन यही आश्रम उसके जिंदगी के लिये खास होगी। हंसता खेलता परिवार के बीच पली बढ़ी मोहिनी को समाज के लिये काम करना बेहद सुकून देता था। इसलिये शादी के बाद जब पति ने यह आश्रम खोलने की बात कही तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा पर किसे पता था एक कार एक्सीडेंट में वह हमेशा के लिये पति को खो देगी। उसके जीवन के रंगीन पन्ने जैसे दफन हो जाएगी। मगर घर वालों के लाख मना करने पर भी  शेखर और उसने जो सपने देखे थे, उसे अधूरा छोड़ना वह नहीं चाहती थी। उन असहायों के लिए उसे जीना था। संकल्प लिया था उसने कि बुजुर्गों को स्वाभिमान की जिंदगी देगी, खुशियों से जीने की इच्छाओं को जगाएगी। सच ऐसा ही हुआ।। इस तरह कब यह आश्रम उसके लिये एक उपवन बन गया उसे पता ही नहीं चला। आज उन महिलाओं के चेहरे पर जब सुकून की खुशी देखती है तो मोहिनी को लगता है मानो उनकी ये मुस्कान ही इस उपवन का एक उपहार है।



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