STORYMIRROR

Ekta Kochar relan

Drama

3  

Ekta Kochar relan

Drama

उम्मीद

उम्मीद

1 min
327

निशा की कोख सूनी थी। खूब उपचार कर चुकी थी। मंदिरों, गुरूद्वारों पर माथा टेक चुकी थी। पर रब तो जैसे उसकी परीक्षा लेते थक नहीं रहा था। नियति के आगे घुटना टेकने के सिवा कर भी क्या सकती थी। धीरे-धीरे उम्मीद खो चुकी थी।

किसी ने पडोस के गाँव में गुरूद्वारा जाने की सलाह दी। कि वहां जाकर गरीबों को खाना खिलाओ और माथा टेको। निशा ने वहां जाकर अरदास कर गरीबों को खाना खिलाया। वापिस आते वक्त उसने देखा एक सुनसान सड़क पर दो मासूम बच्चें गत्ते के डिब्बे में कुम्हलाए हुए है।

उसका मन दर्वित हो उठा।

उसने उन्हें गोद में ले लिया।पर दूसरे ही पल वह मुस्करा उठी कि प्रभु ने जैसे एक राह दिखाई है कि अब इन जैसे हजारों बच्चों के लिए ही तुम्हें जीना है। इनका सहारा बनना है। अब वह मन में एक नये स्वप्न के साथ घर जा रही थी ।और ईश्वर के फैसले पर मुस्करा रही थी कि ठीक ही तो है दुनिया में ऐसे हजारों अनाथ बच्चे है जो माँ-बाप के ना होने पर सड़कों पर ही बडे़ होते है व भीख मांगने या गल्त काम करने पर मजबूर होते है। इन्हें सहारा देकर मैं खुद को धन्य समझूँगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama