प्यार के रंग
प्यार के रंग
टीना जब पांच साल की थी माता- पिता का एक कार एक्सीडेंट में देहांत हो गया था। तभी से नाना- नानी के साथ रह रही थी। जिन्होंने उसके जीवन में सारे सुखों के रंग भर दिये थे।
आज जैसे ही सुबह उठी उसे पता चला कि उसके मामा- मामी हमेशा के लिए अब वही विदेश में रहेगे। नाना जी का मन सुबह से ही अच्छा नहीं था बाहर पार्क में बैठे थे।
जीवन के आखिरी मोड़ पर मामा का वापिस न लौटना उन्हें परेशान कर रहा था। टीना से उनका दुख देखा न गया पीछे से जाकर उनको रंग लगा आलिंगन कर बोली नानू मेरे जीवन को आपने हर रंग से रंग सतरंगी बनाया है।
आपके बिना मेरा जीवन बेसुरा होता! वक्त के साथ परिस्थितियां बदलती है पर अब मैं आपका सहारा बनूंगी। जीवन के हर रंग को आपके जीवन में भर दूंगी। बस आप अपनी ये प्यारी मुस्कराहट और उम्मीद का रंग कभी मत छोड़ना। क्यूंकि आज बेटे ही नहीं बेटियां भी मां- बाप का सहारा बन सकती है।
नानू मुस्कुरा कर अपने अश्रु को पोंछ रहे थे क्यूंकि प्यार के रंग उन्हें भिगो रहे थे।