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Prafulla Kumar Tripathi

Inspirational

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Prafulla Kumar Tripathi

Inspirational

उजड़ा हुआ दयार- श्रृंखला (22)

उजड़ा हुआ दयार- श्रृंखला (22)

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समीर के भाई और पिता ने मिलकर भानु फार्म में न केवल बढ़िया अन्न उत्पादन करना शुरू कर दिया था बल्कि अपने सामाजिक दायित्व को पूरा करते हुए लगभग दस एकड़ में पर्यावरण शुध्द करने के लिए अनुमोदित पेंड़ भी लगवा दिये थे|उन के जिलाधिकारी ने उनको बुलाकर सम्मानित भी किया था |समीर के परिजनों का यह मानना था कि वृक्ष न केवल शुद्ध हवा प्रदान करते हैं बल्कि पर्यावरण को भी सुंदर बनाते हैं। पेड़ पक्षियों को अपना घोंसला बनाने को आमंत्रित करता है तो वही तपती धूप में राहगीर को छाया प्रदान कर उसे गर्मियों से बचाने में मदद करती हैं। पेड़ों के ना होने से मनुष्य का जीवन संकट में आ जाएगा यह जानते हुए भी मनुष्य सुख सुविधाओं के लालच में आकर पेड़ों का शत्रु बन बैठा है। वह निरंतर पेड़ों को काटते जा रहा है जिस कारण हमारे पर्यावरण में दुष्परिणाम पड़ रहे हैं और मनुष्य को कई प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है, पहाड़ों का बर्फ लगातार पिघल रही है, जिससे बाढ़ का खतरा बना रहता है। पेड़ पौधे प्रकृति की शान है इस कारण इंसान धरती पर बचे हैं ऐसा उनका मानना था|

कुछ ही वर्षों की तपस्या के बाद अब भानु फार्म अपने हरियाली के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है|चूंकि समीर ने भी समय समय पर अपना आर्थिक योगदान दिया है इसलिए उसे भी संतोष है कि उनके परिजनों ने नेक काम किये ! वह भी आज एक सेमीनार अटेंड कर रहा है जिसमें वक्ता वृक्षारोपण पर बोल रहे हैं |

" पेड़ की जड़ों के कारण उपजाऊ मिट्टी हवा मे उड़ने (मृदा अपरदन) से बची रहती है। पेड़ समय पर बारिश करने में हमारी मदद करते हैं। सचमुच पेड़ हमारे सच्चे दोस्त हैं। हमें उनकी रक्षा करनी होगी।पेड़-पौधे खुद धूप और तूफान सहते हैं और हमें शीतल हवा और छाया प्रदान करते हैं ! ना कभी किसी से भेदभाव करते हैं और ना कभी किसी को अपना और पराया कहते हैं। हमें इनकी रक्षा करनी होगी और लोगों को पेड़ काटने से रोकना होगा, इनका हम पर बहुत उपकार है, यदि हमारे जीवन में हमें एक अच्छा जीवन चाहिए तो हमें अपने बच्चों की तरह इन पेड़-पौधों को पालना होगा। शुद्ध हवा और ऑक्सीजन के बिना मानव जीवन असंभव है। कई प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं और प्रदूषण से भुगतने के पश्चात अब लोगों को वृक्षारोपण का महत्व समझने आने लगा है। अब शहर से लेकर गाँव तक लोगों और सरकार ने मिलझूल कई कार्यक्रमों की शुरुवात की है जिससे की वृक्षारोपण को बढ़ावा मिले। स्कूल और कॉलेज में भी बच्चों और अध्यापकों द्वारा नियमित रूप से वृक्षारोपण के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।"

वक्ता का वक्तव्य समाप्त हो गया था लेकिन समीर अपने फार्म की हरियाली के ख़याल से उबर नहीं पाया था|

(क्रमशः) 


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