उद्देश्य
उद्देश्य
और उसके दोस्त जलियांवाला बाग में घूमने गए थे। एक आदमी उनके पास पहुँचा और कहा, "मेरा नाम के. सुब्रमण्यम है और मैं तमिलनाडु में रहता हूँ। मैं शहीद उधम सिंह जी के जीवन पर पी. एच. डी. कर रहा हूँ।"
हरप्रीत ने कहा, ''सुब्रमण्यम जी, हम आपकी क्या सहायता कर सकते हैं?
"जब मैंने उधम सिंह का जन्म पढ़ा, मुझे एक प्रश्न का उत्तर नहीं मिला, मैं यहां उस प्रश्न का उत्तर खोजने आया हूँ, लेकिन यहाँ बहुत से लोगों ने शहीद उधम सिंह का नाम नहीं सुना है व जिन्होंने उनका नाम सुना भी है, वो उनके बारे में नहीं जानते।
हरप्रीत के दोस्तों ने पूछा, "कौन-सा सवाल?" सुब्रमण्यम ने कहा, "सवाल यह है कि उधम सिंह माइकल एडवायर की हत्या करने के पश्चात बच सकता था, लेकिन उन्होने खुद गिरफ्तार देकर फांसी कबूल की। इस घटना के पीछे उनका उद्देश्य क्या था?"
"हरप्रीत ने कहा, "उधम सिंह खुश था कि उसने 21 साल बाद उन निर्दोष व निहथे लोगों की हत्या का बदला लिया जिन्हें जलियांवाला बाग काँड के दौरान शहीद कर दिया गया था। उन्हें मौत का डर नहीं था। उन्होंने जीवन में अपना उद्देश्य पूरा कर लिया था। उनके अपने शब्द थे कि "मैंने अपने देश के लोगों के लिए जो किया है उसका इनाम मौत से बेहतर नहीं हो सकता।''