तू न होती तो
तू न होती तो
प्रभा तुम्हें आज मेरे साथ चलना होगा । कहां चलना होगा ? तू इतनी टेंस क्यों है ? आ बैठ तो सही इत्मीनान से बात करते हैं चाय-नाश्ते के साथ । आज तेरा फेवरेट नाश्ता है उपमा बस चाय बना लेती हूं पर चाय तू अच्छी बनाती है चल तू ही बना तब तक मैं नहाकर आती हूं।
अभी महारानी का नहाना भी बाकी है मैं सारे काम निपटाकर आई हूं देर हो जायेगी यार तू भी ना चल छेती कर।
बस दो मिनट में आई कहते-कहतेबाथरूम चली गई। अब मॅडम दो मिनट की जगह लगाएगी दो घंटे इस तरह बड़बड़ाते हुए प्रीति चाय बनाने लगी अभी चाय बनकर तैयार हुई ही थी कि सच में प्रभा आ गई।
तू नहाई भी है या बस यूं ही कबूतर छाप छपछपाकर आ गई !
यही समझ ले तुझ महारानी के साथ जो जाना था पहले नहीं बता सकती थी - कहां जाना है कब जाना है आ गई दनदनाती - चलना है सच्ची तू एकदम झल्ली है ! अब बता तो सही !
रिया के स्कूल चलना है!
यार स्कूल के नाम पर अपना ज़माना याद आ गया आहाहा जब हम स्कूल जाते थे याद है अपना वो पहला दिन ? हम गांव से आए थे हमारा एडमिशन दूसरी कक्षा में हुआ था पहली तो हमको घर में ही चाचाजी ने पढ़ा दिया था !
हां याद है वो भला कैसे भूल सकती हूं और दोनों एक साथ हंस पड़ी। याद है ना - मुझे बहुत डर लग रहा था रोना भी आ रहा था तू एकदम बिंदास और खुश थी मुझे दादी अम्मा की तरह समझाने लगी - देख रोमत ना मैं हूं ना तुझे डर लग रहा है। ? डर मत ये ले और और अपनी चोटी से मेरी चोटी बांधने लगी टीचर ने देखा तो डांटते हुए पूछा - ये क्या हो रहा है ? मेरी धिग्गी बंध गई थी तूने सहमते हुए कहा - मिस इसको डर लग रहा है इसलिए अपने साथ बांध रही हूं ! सुनते ही टीचर ने ठहाका लगाया और हमदोनों हक्का-बक्का ! फिर टीचर ने प्यार से कहा - डरो मत मैं हूं ना बेटा
हां वाकई यार कितने फनी थे हम लोग !
सच में तू शुरू से ही दादी अम्मा सी मेरी सपोर्टर रही है अक्सर मैं सोचती रहती हूं - तू न होती तो
धत पगली सेंटी नहीं होने का आय म ऑलवेज विद यूँ !