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Kiran Vishwakarma

Romance Others

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Kiran Vishwakarma

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तुम्हारा गुनाहगार हूँ मैं

तुम्हारा गुनाहगार हूँ मैं

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जैसे ही अमित ने लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर कदम रखा तो एक बोर्ड पर उसकी नजर गई तो वह मुस्कराने लगा। लिखा था की.... " मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं।" यह पढ़कर बरबस ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। अमित लखनऊ विश्वविद्यालय से आर्ट कोर्स बीएफए करने आया था। वह स्टेशन से बाहर निकला ही था कि उसके पिता के दोस्त उसे लेने आ गए वह कुछ दिन तक उनके घर पर रहा फिर जब किराए के कमरे का इंतजाम हो गया तो वह वहां रहने चला गया।


विश्व विद्यालय में पहला दिन इतनी भव्य इमारत को देखते ही वह नतमस्तक हो गया। लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई करना उसका सपना था। इसी विश्वविद्यालय से भारत के कितने ही महान व्यक्तियों ने शिक्षा ग्रहण की थी। सौ वर्ष के समय में इस विद्यालय ने हर दौर में एक सामंजस्य बनाए रखा। समय के हिसाब से यह खुद को भी बदलता रहा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाता रहा वह मन ही मन बुदबुदाया की "यही तो उसके ख्वाबों की दुनिया है यहीं से उसे अपना भविष्य बनाना है।"

पहला दिन सभी का परिचय जानने में और समझने में ही बीत गया। दूसरे दिन एक पीरियड खाली होने पर वह चाय पीने कैंटीन चला आया जैसे ही उसने चाय लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो एक लड़की ने आकर वह चाय ले ली और माफी मांगते हुए बोली "मुझे जरा जल्दी है आप दूसरी ले लीजिए।" अमित ने उसे देखा तो देखता ही रह गया लंबे लंबे बाल कजरारी आंखें.. उस पर यह गुलाबी सूट.. वह तो दीवाना ही हो गया। वह चाय पी कर क्लास में आया तो देखा वह लड़की उसके बगल वाली ही सीट पर बैठी थी उसने कहा.... मैंने तो सुना है लखनऊ में लोग पहले आप पहले आप बोलते हैं पर आपने तो पहले मैं वाला काम दिखाया।

जी मेरा नाम नेहा है.. हां मुझसे गलती हुई है लेकिन आज जरा मुझे घर जल्दी जाना है।


अब तो अमित और नेहा की मुलाकात अक्सर होने लगी बातों ही बातों में पता चला कि नेहा अपनी मां के साथ रहती है। परिवार में नेहा और उसकी मां के अलावा और कोई नहीं है मां को जो पेंशन मिलती है उसी से घर चलता है। धीर-धीरे घनिष्ठता बढ़ने के कारण अमित का नेहा के घर आना जाना भी शुरू हो गया। समय बीतते- बीतते आखरी साल भी आ गया। अब तो अमित नेहा के साथ नेहा के घर पर ही रहने लगा।


मां कभी-कभी नेहा से अमित के बारे में सवाल करती तो नेहा मां को समझा देती!! कि अमित बहुत अच्छा लड़का है। वह उसे कभी धोखा नहीं देगा। दोनों ने आपस में यह वादा भी किया था कि दोनों में से किसी की भी नौकरी लग जाएगी तो वह तुरंत ही विवाह कर लेंगे। एक दिन अमित बताता है की उसकी नौकरी जहां पर उसका घर है वही लग गई है। मैं अपने घरवालों को यह खुशखबरी दूंगा और तुम्हारे बारे में बता कर उन्हें विवाह करने के लिए मना भी लूंगा। नेहा सशंकित होकर अमित से पूछती है.... कि तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना? अमित उसे विश्वास दिलाता है की चाहे जो भी हो जाए वह उसे धोखा नहीं देगा। अमित अपने घर चला जाता है कुछ दिन तक तो नेहा की अमित से बात होती है.… लेकिन उसके बाद अमित का फोन स्विच ऑफ हो जाता है। कुछ दिनों बाद अमित का फोन आता है.... फोन सुनते ही नेहा बेहोश हो गयी। होश में आने पर नेहा मां को बताती है.... कि अमित के घर वालों ने उसकी जबरदस्ती शादी कहीं और करा दी है। अमित भी बहुत रो रहा है किंतु वह बेबस है उनकी मां ने मरने की धमकी दी है.... कि अगर वह उनके मन के मुताबिक शादी नहीं करेगा तो वह अपनी जान दे देंगी।


नेहा मां से लिपटकर बहुत रोती है.... मां मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई.... मैं अमित के बच्चे की मां बनने वाली हूं। यह सुनकर नेहा की मां सन्न रह जाती हैं... "यह क्या कह रही है तू?".... अब तो हमारी समाज में बहुत बदनामी होगी। तूने अमित से इस बारे में कुछ बात की और इस बच्चे के बारे में क्या सोचा है ? नहीं मां मैंने अभी अमित को कुछ नहीं बताया और अब ना मुझे अमित से इस बारे में कोई बात करनी है। मेरे तो जिंदगी खराब हुई ही है....उसकी पत्नी की भी जिंदगी खराब होगी। गलती मेरी है और उसकी सजा मैं खुद भोगूंगी। लेकिन मेरे बच्चे का इसमें कोई कसूर नहीं है मैं बच्चे को जन्म अवश्य दूंगी। यह कहकर वह मां से लिपट कर रोने लगती है। कुछ दिनों तक तो नेहा घर से बाहर ही नहीं निकलती है।


आज कई दिनों बाद नेहा पार्क में आई और झूले पर बैठी.... वह बगल वाले झूले को देख रही थी कि शाम के वक्त वह और अमित झूलों पर बैठकर झूला करते थे। वह अमित के साथ बिताए दिनों को याद करने लगी कैसे वह दोनों शाम को कभी प्रकाश कुल्फी खाने निकल जाते, कभी चौक चौराहे की मलाई मक्खन, कभी शर्मा जी की चाय पीने निकल जाते। कभी पार्कों में पेंटिंग बनाने निकल जाते। समय ने कैसी चाल चली कि कुछ समय में ही सारी परिस्थितियां ही बदल गई। हमारे देखे हुए सारे सपने धराशाई हो गए।


आज जैसे ही पता चला कि उसकी भी नौकरी लग गई है देहरादून में तो वह मां से बताती है की मां अब हम यहां नहीं रहेंगे। मेरी पोस्टिंग देहरादून में हुई है अब हम वही जाकर रहेंगे नेहा और उसकी मां लखनऊ का घर बेचकर देहरादून चले जाते हैं।


कुछ दिनों बाद नेहा एक स्वस्थ बच्ची को जन्म देती है। नेहा की बेटी भी समय बीतते- बीतते दो वर्ष की हो जाती है। एक दिन नेहा अपने घर के बगीचे में बेटी रूही की पेंटिंग बना रही होती है.... तभी होटल की बालकनी से अमित नेहा को देखता है.... जैसे ही उसे विश्वास होता है कि यह नेहा ही है वह झट से मिलने चला आता है।

नेहा.... अमित आवाज देता है!!!!

नेहा पलट कर देखती है.... अमित को तो वह आश्चर्यचकित हो जाती है अमित तुम यहां.... हां नेहा मुझे भी विश्वास नहीं हो रहा है.... कि तुम मुझे यहां मिलोगी। यहां पर मेरे दोस्त की आर्ट प्रदर्शनी लगी है। सामने होटल में ही ठहरा हूं। मैंने तुम्हें कितनी बार फोन किया फिर मैं तुम्हारे घर भी गया तो पता चला कि तुम लोग घर बेचकर कहीं और चले गए हो।

अब क्यों आए हो मेरे पास?.... मैं तो तुम्हें भूल चुकी हूं!!!! मैं अब अपनी दुनिया में खुश हूं। गलती तुम्हारी भी थी.... लेकिन उतनी ही गुनहगार मैं भी थी जिसकी सजा मुझे मिल चुकी है। अब तुम अपनी दुनिया में खुश मैं अपनी दुनिया में खुश।

यह हमारी बेटी है ना....अमित रूही की तरफ देखता है।

हमारी बेटी नहीं.... यह मेरी बेटी है नेहा ने कहा....

मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है मैं शाम को आऊंगा अपनी मां के साथ।

नेहा कुछ नहीं बोलती है वह रूही को लेकर अंदर चली जाती है।

अमित शाम को अपनी मां के साथ आता है तो नेहा देखती है.... कि अमित की गोद में भी एक बच्ची है। नेहा पूछती है कि इसकी मां कहां हैं?

अमित बताता है कि वक्त ने हमें भी बहुत बड़ी सजा दी है। मेरी पत्नी काव्या इस बच्ची को जन्म देने के बाद ही ईश्वर को प्यारी हो गई अब मैं और मां मिलकर इस बच्ची की देखभाल करते हैं।

अमित की मां हाथ जोड़कर नेहा से माफी मांगती है.... बेटा मुझे पता है तुमने बहुत कष्ट सहे और तुम्हारी गुनहगार मैं हूं....इसकी सजा ईश्वर ने हमें दे दी है अब मेरी प्रार्थना है.... कि तुम दोनों एक हो जाओ तुम लोगों के एक हो जाने की वजह से इन दोनों बच्चियों को मां और पिता दोनों का प्यार मिल जाएगा। इतना कहकर अमित की मां उस बच्ची को नेहा की गोद में डाल देती हैं बच्ची नेहा की गोद में आते ही नेहा को टुकुर - टुकुर देखने लगती है.... नेहा अपनी मां की तरफ देखती है नेहा की मां स्वीकृति में सिर हिला देती हैं।

यह देखते ही अमित खुश होकर रूही को गोद में उठा लेता है। इस तरह अमित और नेहा एक हो जाते हैं।



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