Kiran Vishwakarma

Romance

3.4  

Kiran Vishwakarma

Romance

जब हम तुम मिले

जब हम तुम मिले

4 mins
327


चार भाई-बहन में कविश सबसे बड़ा और अविवाहित था। सभी भाई-बहन की जिम्मेदारी कविश ने उठाई थी।सभी को पढ़ाना-लिखाना और शादी-ब्याह करना।

शान्त और गम्भीर रहने वाला कविश पहले ऐसा न 

था। पहले वह बहुत ही हँसमुख स्वभाव का था।

जिधर भी जाता सभी को हँसाता रहता। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी किन्तु दिल से बहुत बड़ा था।सबकी मदद करने की यथासम्भव कोशिश करता।

एक दिन वह छत पर पौधों को पानी दे रहा था।

तभी किसी के गाने की आवाज उसके कानों में पड़ती है तो वह पलट कर देखता है कि एक सुन्दर सी लड़की खुले लंबे बाल और मधुर आवाज में गाना गा रही है, जैसे ही कविश को देखती है तो शर्मा कर नीचे चली जाती है।

कविश को बाद में पता चलता है कि नये लोग बगल वाले घर में रहने आये हैं। अब कविश अक्सर छत पर जाता और कविता को ढूंढता।

कविता भी अब जब भी कविश को देखती तो मुस्करा देती। एक दिन कविश ने मौका पाकर अपने प्यार का इजहार कर दिया तो कविता ने भी

सहर्ष स्वीकार कर लिया। इनके प्यार की गवाह कविश की छोटी बहन प्रतिभा थी। जब कभी कविता मिलने नही आ पाती तो कविश प्रतिभा को भेजकर कविता को बुला लेता।

कविता अब कवितायें भी लिखने लगी थी और

उसकी कविता को लोग पसंद भी करते थे।

जब भी किसी के जन्मदिन पर जाती तो उससे गाना और कविता सुने बिना कोई भी उसको जाने नही देता।

एक दिन वह कॉलेज के लिये निकली तो तेज तूफान के साथ बारिश हो रही थी। कोई आटो वाला भी नही दिख रहा था , तभी कविश बाइक 

लिये उसके पास आकर कहता है कि "जल्दी से बैठ जाओ मैं तुम्हे घर तक छोड़ दूँगा।"

कविता पहले तो सकुचाती है फिर बाइक पर बैठ जाती है। कविता उससे कहती है कि " जैसे आज तुमने मुझे इस तूफान से बचाया है तो आगे भी जीवन में आने वाले तूफानों से मुझे बचाना।"

"हाँ कविता मै वादा करता हूँ कि तुम पर आने वाली हर मुसीबत का सामना मैं करूंगा।" कविश 

ने कहा....

कविश और कविता को साथ में कविता के पापा 

देख लेते हैं और कविता को बहुत डांट लगाते हैं।

क्योंकि कविश को वह बिल्कुल भी पसंद नही करते थे।

इधर कविश एक न्यूज़ चैनल में पत्रकार बन गया।जिनका न्यूज़ चैनल था नरेश जी अविवाहित थे।

वह उसके हँसमुख स्वभाव और कार्य कुशलता से बहुत प्रभावित होते हैं तो धीरे-धीरे सभी जिम्मेदारी कविश को दे देते हैं। 

कविश के साथ काम करने वाली निशा के शरीर पर चोटों के निशान देखकर कविश उससे पूछता है कि "उसके साथ क्या हुआ है?"

निशा बताती है " उसका पति उसके साथ बहुत

 ज्यादा मारपीट करता है और कुछ करता भी नही है।

तुम यह क्यों सह रही हो ? जब तुम स्वयं आत्मनिर्भर हो। अभी तुम सबसे पहले मेरे साथ पुलिस- स्टेशन चलोगी उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखाने। 

कविश निशा को पुलिस-स्टेशन से सीधा घर ले आता है।कविश की माँ और बहन निशा की देखभाल करते हैं फिर उसके स्वस्थ होने के बाद

उसको किराये का कमरा दिला देते हैं।

कविता के पापा ने कविश को किसी लड़की के साथ देखा तो बिना सच जाने ही कविता से कह दिया कि कविश ने तुमको धोखा दिया है उसने शादी कर ली है। अब तुम्हे मेरे कहने अनुसार ही चलना होगा। हम आज रात में ही यह शहर छोड़ देगें। यह कहकर कविता के माता-पिता कविता को जबरदस्ती लेकर दूसरे शहर लेकर चलें जाते हैं।

कविश को जब पता चलता है कि कविता यह शहर छोड़कर चली गयी है तब उसको ढ़ूँढ़ने

की बहुत कोशिश करता है किन्तु कुछ पता नही चलता है। वह बहुत रोता है। समय बीतने के साथ अपने भाई-बहनों की शादी कर देता है किन्तु खुद वह शादी नही करता है। इधर प्रतिभा की शादी 

उसी शहर में होती है, जिस शहर में कविता रहती है। प्रतिभा और कविता की मुलाकात एक मॉल

मे होती है तब कविता को सच्चाई का पता चलता है। प्रतिभा जब यह देखती है कि कविता ने अभी भी शादी नही की है तो वह एक प्लान बनाती हैं। कविता माता-पिता को अपना फैसला बताकर

प्रतिभा के साथ कानपुर आ जाती है।

आज कविश का जन्मदिन भी है इसलिये दोनों मिलकर तैयारियाँ शुरु कर देती हैं। शाम को जब कविश घर लौटता है तो देखता है कि पूरा घर सजा हुआ है। रिश्तेदार और उसके मित्र सभी लोग आये हुए हैं। वह प्रतिभा से पूछता है कि 

जन्मदिन इतना धूमधाम से मनाने की क्या जरुरत थी।

क्यो नही भैया मौका ही कुछ ऐसा है, अभी तो एक और सरप्राईस आपका इन्तजार कर रहा है।

जाइये पहले आप तैयार होकर आइये। प्रतिभा कविश को तैयार होने के लिये भेज देती है।

कविश जैसे ही बाहर आता है तो कविता के गाने की आवाज सुनाई देती है वह स्टेज की तरफ बढ़ने लगता है तो देखता है कि कविता गुलाबी रंग की साड़ी पहने वही गाना गा रही थी जो कि अक्सर वह उससे सुनता था-

  जब हम तुम मिले तो ये .......

गाना खत्म होते ही कविश कविता के पास जाता है और पूछता है कि तुम मुझे छोड़कर क्यो चली गयी थी। जब उसे यह पता चलता है कि उसने भी अभी तक शादी नही की है तो उसकी खुशी का ठिकाना नही रहता है तभी प्रतिभा कविता का हाथ कविश के हाथ में देकर कहती है आज इन दोनों की सगाई है, आप सभी लोग आशीर्वाद दें।

तभी कविता के माता-पिता भी आ जाते हैं और दोनों लोगों को अपना आशीर्वाद देते हैं।


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