Anand Prakash Jain

Romance Tragedy

2  

Anand Prakash Jain

Romance Tragedy

"तुम नहीं समझ सकती"

"तुम नहीं समझ सकती"

2 mins
45



जैसे धीरे धीरे एक एक घटना जोड़ कर, थोड़ी बातें, ढेर सारे किस्से जोड़कर, कड़ी दर कड़ी सटाकर तुम्हें ख़ुद के नज़दीक ले आया ना, उसी तरह एक एक कड़ी अलग करके तुम्हें ख़ुद से दूर कर दूंगा, क्योंकि मैं जानता हूं, तुम मेरी जीवन कि सहयात्री नहीं बन सकती हों, मुझे समझने के लिए एक कलाकार होना ज़रूरी है, जो तुम नहीं हो ।

चाहे तुम मेरी बातें समझ सकती हो, पर केवल वहीं जो। मैंने बोल कर कहा है, वो नहीं जो मेरे बोलने के पीछे की वजह है, जो अनहद में कहीं हिलोरे मार रहा है, चीख रहा है उसकी पुकार सुन ली जाएं, पर तुम वो नहीं सुन पाओगी ।

तुम्हें ग़फ़लत (बेसुधी) कि आदत नहीं है, गुमनामी से तुम्हारा ताल्लुकात नहीं है, तुम नहीं समझ सकती हो कि जब कहीं किसी इंसान द्वारा कविता या शायरी कि तारीफ़ कि जाती है तब मन होता है कि बहुत बहुत शुक्रिया अदा किया जाएं, उस इंसान को कद्र है मेरी शायरी की, क्यों ना उसे और कुछ सुनाया जाएं, या उसका नंबर सहेज लिया जाएं, ताकि कहीं पर यदि हम दोबारा टकरा जाएं तो वो अल्फ़ाज़_ए_आनंद कहकर मेरी तरह हाथ बढ़ा ले कि "आओ दोस्त अब महफ़िल जमेगी।"

तुम नहीं समझ सकती, बिल्कुल नहीं समझ सकती हो, तुम मेरी दोस्त बनकर रह सकती हों पर उससे नज़दीक भौतिक दुनिया में नहीं आ पाओगी, हां याद शहर में तुम्हारे साथ कि हुई बातों से कोई किस्सा निकल आएं और मैं तुम्हें अपनी किसी कविता मैं हमनवा बना लूं वो बात अलग है !

तुमने मुझसे दोस्ती नहीं की, मेरे मुखौटे के साथ कि जो मैंने दुनिया वालों के लिए रखा था, तुमसे अब मैं फिर उसी अंदाज़ में मिलूंगा, अलग अलग मुखौटे लगाए!

~अल्फ़ाज़_ए_आनंद


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance