Shirish Pathak

Romance

3.0  

Shirish Pathak

Romance

तुम बहुत सुंदर हो

तुम बहुत सुंदर हो

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"तुम कितनी जल्दी आ सकते हो मेरे पास कुछ ज़रूरी काम है आज मुझे।"

"वैसे तो आधा घंटा लगेगा लेकिन फिर भी कोशिश करते है उससे जल्दी आने की।" "ठीक है जल्दी आओ लेकिन संभल के आना।"

जब भी मैं तुमको देखता हूँ, तुझमें खुद को ढूंढने की कोशिश करता हूँ। तुमको मैं कई बार ऐसी बात कह जाता हूं जो शायद तुमको बुरी लग जाती होगी लेकिन यकीन मानो मेरा इरादा कभी भी तुमको परेशान करने का नहीं होता है और न ही तुमको दुख देना मेरे लिए किसी भी तरह की खुशी का कारण होता है। तुमको मैं चाहता हूं बिल्कुल उस बच्चे की तरह जो अपने किसी खास खिलौने को चाहता है और खुद से कभी दूर नही करता।

"नीचे आ जाओ मैं आ गया हूं तुमको लेने।" "ठीक है रुको तैयार ही है बस रोटियां बना के आते हैं।"

तुम बहुत सुंदर हो। तुम समझती सब हो बताती नहीं। तुम मेरे लिए किसी अनसुलझी सी पहेली सी लगती हो।

तुम और मैं अक्सर किसी अनजानी सी दुनिया में रोज़ हम हो जाते हैं। मैं रेत को मुट्ठी में भर लेना चाहता हूं

मैं सूरज की किरणों को भी कैद कर लेना चाहता हूं मैं ये भी चाहता हूं पानी को रोक दूं नीचे गिरने से लेकिन जानता हूं ये सब वैसे ही मुश्किल है

जैसे मेरे दिल से तुम्हारा जुदा हो जाना है। अच्छा लगता है जब तुमको देख लेता हूं। मेरे करीब आते हुए और साथ में मुस्कुराते हुए भी मेरे लिए वो हर पल और हर जगह खास होती है।

जहां तुम और मैं मिलते हैं। लौट आना चाहता हूं, तुम्हारे पास और तुम्हारे साथ। कुछ और लम्हों को जी लेना चाहता हूं।

"अच्छा अब मैं चलती हूं थक गई हूं आज बहुत काम था दिन भर"

"ओके जैसा तुमको सही लगे"

मुस्कुराते हुए तुम जाने लगी और मेरी निगाहें बस तुमको देखती रहीं जब तक तुम मेरी आंखों से ओझल नहीं हो गयी।


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