STORYMIRROR

Sangeeta Agarwal

Thriller

3  

Sangeeta Agarwal

Thriller

टूरिस्ट गाइड

टूरिस्ट गाइड

7 mins
255

जिनी हेजर्ड को यहां आए हुए कुछ माह ही बीते थे अभी लेकिन यहां की खूबसूरती उसका दिल चुराए लिए जा रही थी। घण्टों गंगा के घाट पर बैठी रहती और चारों ओर फैली सुंदरता को अपनी आंखों से पीती रहती। अलसुबह सूर्योदय देखना, शांत लहरों में अपना अक्स देखना उसे बहुत पसंद था।

ग्लास्गो से आई एक विदेशी युवती ने जब से भारत की सरजमीं पर कदम रखा था, वो यहां की प्राकृतिक सुंदरता की दीवानी हो गई थी। यूं तो उसने यहां बी एच यू में फिलोसोफी में पी एच डी में एड्मिशन लिया था, उसकी गाइड डॉक्टर, प्रोफेसर ऋचा आर्या बहुत सुलझी हुई महिला थीं, अभी पिछले दिनों ही उसे ये गाइड अलॉट हुई थीं।

जिनी के भारत के प्रति असीमित प्रेम से वो भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी थीं और उनका कहना था कि बढ़िया काम करने के लिए तुम भारत को और बारीकी से देखो, यहां का दर्शन, आध्यत्म समझो तो तुम्हारे काम में वास्तविकता आएगी। जिनी की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो।

उसका कोर्स वर्क पूरा होने में कुछ ही समय बाकी था, फिर तो उसे आसपास भ्रमण के लिए हरी झंडी भी मिल गई थी।

उसके पापा, शैलेश भट्टाचार्य, बहुत प्रतिभाशाली इंजीनियर थे और विदेश क्या पहुंचे, वहीं बस गए, वहीं की अपनी सहपाठी हेलेन से विवाह किया, जब से जिनी पैदा हुई वो अपने पापा के बहुत करीब थी और पक्की भारतीय दिल से, पापा से भारत की इतनी कहानियां सुन चुकी थी कि हर पल वहां जाने को तरसती, अब पी जी करके जब उसे वहां से रिसर्च करने का अवसर मिला तो उसने बिना एक क्षण गंवाए वहां आना उचित समझा।

आज पहली बार वो सारनाथ घूम रही थी, उसके संग, उसका टूरिस्ट गाइड था, विवेक नाम का एक युवक, स्मार्ट, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता, हर चीज का बड़े सिलसिलेवार वर्णन करता। जिनी ने उसके साथ सारनाथ की परिक्रमा की, उसे सब कुछ बहुत रोमांचक लग रहा था। फिर उसने विश्वनाथ मंदिर, तुलसी मानस मंदिर घूमा, ओह!, कितनी सुन्दर राम कथा सब चित्रों से परिलक्षित हो रही थी। विवेक उसे क्रम से समझा रहा था और वो मंत्र मुग्ध हुई उसके साथ खिंची चली जा रही थी।

थोड़ी देर में वो घाटों के करीब थे, वहां की शाम की आरती की सुंदरता देखते ही बनती थी। जब विवेक उसे दिन में बनारस की तंग गलियों में ले कर गया तो जिनी ने कितनी ही ऐसी चीजों की खरीदारी कर ली जिनके उपयोग भी विवेक ने उसे बताए।

उसने बताया कि यहां भारतीय स्त्रियां शादी में लाल चौड़े बॉर्डर की गुलाबी सिल्क साड़ी विवाह में पहनती हैं, माथे पर लाल बिंदिया, मांग में सिंदूर, पांव में बिछियां पहनती हैं, चूड़ियां, पायल, चुटीला क्या क्या खरीद लाई वो उत्सुकता में। उसे सब कुछ बहुत अच्छा लग रहा था।

आज विवेक के साथ, पहली बार वो बनारस से बाहर आई थी, पहले वृंदावन, मथुरा, आगरा के प्रोग्राम था फिर ग्वालियर जाना था उन्हें। तीन दिन को टैक्सी की थी जिनी ने और विवेक को खास रिक्वेस्ट कर अपने साथ लाई थी। विवेक बहुत सुलझा हुआ, प्रशिक्षित गाइड था, उसे पता था, ये हमारे देश में अतिथि हैं, इनको अच्छी छवि दिखानी है अपने देश की।

वृंदावन में हर जगह राधे राधे की धूम थी, सबसे पहले जिनी ने चनिया चोली खरीदी, अपने माथे पर राधे राधे का ठप्पा लगवाया और इस्कोन, प्रेम मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, दुर्गा मंदिर सभी देखे। विवेक उसे सब बातें, उनकी कहानियां विस्तार से समझाता और वो उन सबकी सपनीली दुनिया में आकंठ डूबती उतरती रही।

कई बार सोचती कि उसके पापा ने इतनी सुंदर जगह क्यों छोड़ दी, यहां से तो शायद कभी मन न भरे, यहां लोगों में कितना अपनापन है, प्यार है।

थोड़ी देर में विवेक वहां से पेड़े खरीद कर लाया, उसकी मिठास उसके मुंह में घुल गई, कितने स्वादिष्ट थे ये पेड़े, वो अभी दूसरा मुंह में ही रखने वाली थी कि उसके मुंह से एक चीख निकल गई।

एक मोटा सा बंदर , उसका चश्मा और पेडा दोनों छीन के भाग गया। सब हंस रहे थे और वो परेशान हो गई।

विवेक ने कहा: अब कुछ देर इंतजार कीजिये, विवेक ने दो फ्रूटी खरीदीं, बंदर की तरफ फेंकी और कमाल हो गया, बंदर ने शरीफों की तरह उसका चश्मा लौटा दिया।

वो खिलखिला के हंस पड़ी, विवेक उसकी मासूम खिलखिलाहट देखता रह गया।

थोड़ी दूर आगे, भिखारियों की लंबी लाइन लगी हुई थी, इतनी ठंड में ज़मीन पर उन्हें सोते, बैठे देख जिनी का दिल भर आया। वो कुछ पैसा उन्हें देती और वो उसका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं थे।

विवेक ने समझाया: बेशक, यहां बहुत गरीबी है, पर ये कुछ काम भी नहीं करते बस भीख को ही अपना पेशा बना रखा है।

फिर भी एक नन्हे से बच्चे को, उसकी माँ अपने आँचल में छिपा के दूध पिला रही थी और मां के शरीर पर बस एक बारीक सी साड़ी देख जिनी की आंख भर आईं, उसने अपनी जैकेट उतार के उसे दे दी। विवेक कुछ कह पाता, उससे पहले ही वो ये कर चुकी थी।

विवेक फिर से एक बार उसकी दरियादिली का कायल हुआ, कौन कहता है कि विदेशी लोग रुड होते हैं, ये तो बहुत दयालु हैं।

आज वो आगरा आये थे, आगरा आ के ताजमहल न देखें , ऐसा तो हो नहीं सकता। जिनी को शाहजहां मुमताज की लव स्टोरी पहले से ही पता थी, यहां सब कुछ अपनी आंखों से देखना उसे बहुत सुंदर लग रहा था। उसने बहुत सारी सुन्दर जगहों को अपने कैमरे में कैद कर लिया।

लाल किले से बहती यमुना को देखना, ताज महल का दूर से चित्र लेना सब कुछ अनोखा अनुभव था।

आज आखिरी दिन उन्हें ग्वालियर जाना था, जिस होटल में वो लोग ठहरे थे, सुबह ही विवेक ने आके बताया कि उसे कल रात से ही तेज बुखार था। जिनी उसकी ये हालत देख चिंतित हो उठी, उसने कहा तुम यहीं रुक जाओ, मैं ड्राइवर के साथ चली जाऊंगी, रात तक लौट आएंगे, फिर कल तो लौटना ही है।

विवेक, उसे अकेले टेक्सी ड्राइवर के साथ भेजने में हिचकिचा रहा था, जितनी भोली हैं ये, कहीं वो इनके साथ कुछ मिस्बेहव न कर बैठे।

कैसे समझाता उसे वो इस बात को, टेक्सी ड्राइवर की आंखों में आई चमक को देख वो और घबरा गया, उसने जिनी से रिक्वेस्ट की कि मैं गाड़ी में लेटा रहूंगा , पर जाऊंगा जरूर।

खैर अपनी जिद से वो उनके साथ ही रहा। वहां पहुंच कर, जिनी ग्वालियर का किला देखने चली गई इस बार अकेले ही। उसके पीछे टैक्सी ड्राइवर ने विवेक को चाय पिलाई, पता नहीं उसमें क्या था, विवेक गहरी नींद में सो गया।

जब जिनी लौटी, शाम का धुंधलका हो गया था, अब उन्हें वापस लौटना था।

ड्राइवर तैयार था और जिनी मन में मीठी यादें लेकर निश्चिंतता से वापिस बनारस चल दी। उसे अच्छा लगा कि विवेक आराम से सो रहा है।

गाड़ी की तेज रफ्तार से उसकी आंख लग गई, अचानक एक जगह उसे कोई अपने शरीर के बहुत करीब महसूस हुआ, उसने चौंक के आंख खोली तो ड्राइवर उससे बदतमीजी करने की कोशिश कर रहा था, उसने बुरी तरह शराब पी रखी थी, जिनी कांप गई, उसने चीखने की कोशिश की पर ड्राइवर ने कस के उसका मुंह बंद कर दिया, वो छटपटाई, मुक्त होने की उसकी सारी कोशिश बेकार गईं।

रुआंसी होकर उसने विवेक की तरफ देखा लेकिन वो बेखबर सो रहा था, अब उसे समझ आया कि इस दुष्ट ने उसे बेहोश कर दिया था शायद।

अचानक कहीं से पुलिस सायरन की आवाजें आने लगीं, वो ड्राइवर घबरा के दूर हो गया और जिनी आज़ाद हो गई। दोनों ने इधर उधर देखा, सायरन की आवाज़ पीछे से आ रही थी। सामने ही यू पी पुलिस की एक गाड़ी पेट्रोलिंग के लिए घूम रही थी और जिनी ने फुर्ती से उसे हाथ देकर रोक लिया।

पुलिस ने आनन फानन में उस ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया, पुलिस सायरन की आवाज़ अभी भी आ रही थी, पता चला विवेक ने आगामी खतरे को भांपते हुए अपने मोबाइल पर इस कालर ट्यून का अलार्म लगा दिया था रात 11 बजे का।

जिनी की आंखें भीग गईं, एक भारतीय ऐसा, जिसने उसके साथ गलत करना चाहा तो दूसरा ऐसा जिसने बीमारी में भी उसकी सुरक्षा के लिए इतना सोचा और प्रयास किया।

आज उसी की कोशिश थी कि वो सुरक्षित अपने घर पहुंच पा रही थी, कुछ लोगों के खराब होने से पूरे देश की छवि धूमिल होती है, लेकिन कुछ अच्छे लोग, उसे उज्ज्वल भी तो करते हैं।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Thriller