Prabodh Govil

Thriller

4  

Prabodh Govil

Thriller

टापुओं पर पिकनिक- 25

टापुओं पर पिकनिक- 25

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"बेवकूफ़! अक्ल है कि नहीं तुझ में?"

आगोश ने कुछ हंसते हुए कहा। पर वो कुछ न बोली। उसी तरह चुपचाप अपने काम में लगी रही।

असल में घर की वो नौकरानी कोठी के अहाते में झाड़ू लगा रही थी। वैसे ये उसका काम नहीं था, यहां बाहर के लंबे - चौड़े अहाते में झाड़ू लगाना। यहां सफ़ाई करने के लिए एक दूसरा लड़का आता था। मगर आज आगोश की मम्मी ने सुबह किसी बात पर उस लड़की को डांटते हुए कहा- वो लड़का न जाने कब आता है और दो - चार उल्टे- सीधे हाथ मार कर न जाने कब रफूचक्कर हो जाता है। वहां कौनों में इतनी गंदगी इकट्ठी हो गई है, सारा दिन बदबू आती है। धूल- मिट्टी उड़ती है अलग। जा, जरा ढंग से तू ही सफ़ाई कर के आजा वहां।

वैसे भी जब से उनका सर्वेंट क्वार्टर ख़ाली हुआ था वहां गंदगी कुछ ज़्यादा ही रहने लगी थी। सर्वेंट क्वार्टर के दरवाज़े पर भी तो महीनों से ताला लटका था। टूटी खिड़की से कौवे- कबूतर ही वहां उत्पात मचाए रहते थे। बीट और गंदगी का साम्राज्य था।

लड़की चुपचाप सीकों वाली बड़ी झाड़ू उठा कर वहां सफ़ाई करने चली आई थी और जल्दी- जल्दी हाथ चला कर कचरा बुहार रही थी।आगोश भी ऐसे ही मस्ती- ठिठोली करता हुआ वहां आ बैठा था और एक पुराने स्कूटर पर पांव लटका कर लड़की को देख रहा था।

आगोश को हंसी तब आई जब उसने देखा कि कचरे में पड़ी हुई एक चप्पल को भी वो लड़की झाड़ू से बार- बार बुहारती हुई घसीट कर ला रही थी।

"अरे उस टूटी चप्पल को उठाकर सीधे कचरे के ड्रम में क्यों नहीं डाल देती, उसे घसीटती ला रही है बार- बार झाड़ती।"

लड़की इस तरह डांट कर बोलने से भी बुरा नहीं मान कर चुपचाप मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि कुछ देर पहले यही बात कहता हुआ आगोश उसके करीब चला आया था और उसने लड़की से बिल्कुल सट कर उसकी मैली स्कर्ट के नीचे से उसे थपथपा दिया था।लड़की का सांवला रंग गहरा जामुनी हो गया।

आगोश वापस आकर फ़िर वहीं बैठ गया था और टुकुर- टुकुर लड़की को ताके जा रहा था।

लड़की ने उसके कहने के बावजूद चप्पल को उठाकर नहीं फेंका था बल्कि उसी तरह बुहारती ला रही थी।

उसकी इस ढीठता से आगोश कुछ झल्ला गया और चिल्ला कर कुछ बोलने लगा था। इतने में ही कोठी के मुख्य द्वार का गेट खड़खड़ाया और उसमें से बाइक पर सवार आर्यन ने प्रवेश किया। शायद आर्यन ने आगोश को चिल्लाते हुए सुन लिया था।

आर्यन बोला- "क्या हुआ? लोग सुबह- सुबह सूर्य नमस्कार करते हैं और तू मुंह उठा कर सूरज पर चिल्ला रहा है?"

आगोश कुछ झेंप गया और दोनों एक दूसरे के गले में हाथ डाले घर के भीतर जाने के लिए मुड़े।

तभी आर्यन को हल्का सा झटका लगा और वो आगोश को छोड़ तेज़ी से सफ़ाई करती हुई उस लड़की की ओर बढ़ा।

लड़की उसे अपने पास आते देख कर सहम कर एक ओर हट गई।

" रुकना रुकना.. एक मिनट ठहर!" आर्यन लड़की से बोला।

" क्या हुआ?" आगोश भी पीछे- पीछे आया।

"ये चप्पल देख! "

" अबे ये एक ही है, कचरे में पड़ी थी। पेयर नहीं है!" आगोश हंसते हुए बोला - इसी के लिए तो मैं इसे समझा रहा था कि उठा कर ड्रम में फेंक दे। ये इसे झाड़ू से बुहारती- घसीटती ला रही थी।"

"यार! मेरी बात समझ! आई कहां से ये, ये तो बता? दूसरी कहां है!"

"अबे तू क्या इसे तेरी गर्लफ्रेंड को गिफ्ट करेगा? कहा न कूढ़े के ढेर पर मिली है।"

आर्यन संजीदगी से बोला- "आई कांट इग्नोर इट यार, मैं इसे अनदेखा नहीं कर सकता। उस दिन किराए का जो कमरा देखने के लिए हम दोनों गए थे वहां टांड पर पड़ी एक चप्पल भी बिल्कुल ऐसी ही थी।

"क्या कहता है यार!" आगोश के बदन में सुरसुरी सी छूटी।

लड़की उन दोनों दोस्तों की बातचीत पर ध्यान दिए बिना जल्दी- जल्दी काम ख़तम करके भीतर जाने लगी।

पर उन दोनों के शरीर में जैसे कोई बिजली सी फुर्ती दौड़ गई। इधर- उधर देखते हुए दोनों आसपास घूम कर चप्पल का दूसरा जोड़ तलाशने लगे। आगोश ने एक बार बाउंड्रीवॉल पर चढ़ कर, उछल कर उस पार बाहर सड़क पर भी झांका।आर्यन भी घूम - घूम कर उसका दूसरा जोड़ा देखने लगा।

"नहीं! ये तो एक ही है। दूसरी यहां कहीं नहीं है।" आगोश बोला।

"वहां भी एक ही थी। यार, ये इतनी सिम्पल नहीं है कि इस पर ध्यान न जाए। डिजाइनर चप्पल है, पुरानी है तो क्या।" आर्यन ने किसी जासूस की तरह बात की मीमांसा करते हुए कहा।

दोनों बाहर से भीतर आगोश के कमरे में आ गए।

उन लोगों ने मधुरिमा के घर में कमरा देख कर आने के बाद उसे ये तो बता दिया था कि उन्हें कमरा बहुत पसंद आया है पर कोई और बात आगे अभी नहीं की थी। मनप्रीत के पूछने पर भी उन्होंने यही कहा था कि वह थोड़ा इंतजार करे। मनप्रीत ने मधुरिमा से कह दिया था कि वो लोग अभी किसी और से बात न करें, आगोश को थोड़ा समय दें। उन्हें ही कहां जल्दी थी। उनका तो महीनों से ख़ाली पड़ा ही था।

"फ़ोन करके पूछूं क्या चप्पल के लिए?" आगोश ने पूछा।

"यार, उन्हें कुछ शक न हो जाए!" आर्यन बोला।

उन दोनों को वो भयानक रात याद आ गई जब उन्होंने आधी रात को उस लड़की को यहां से निकल कर भागते देखा था। निर्वस्त्र! पगली!



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