Sanny Chauhan

Romance

0.2  

Sanny Chauhan

Romance

तलाश

तलाश

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थोड़ी दूर बस में चढ़ते समय उसके चेहरे की एक हल्की सी ही झलक दिखी जिसे देख कर दिल जैसे बैठ सा गया | सांसे थम सी गयी | तभी मनोहर ने कहा की ‘हे क्या हुआ?’ मेने कहा ‘कुछ नहीं’

मैं और मेरा दोस्त मनोहर हर रोज की तरह ऑफिस जाने के लिए बस स्टैंड पर खड़े थे | इतने में हमारी बस भी आ गयी और हम बैठ कर ऑफिस चले गए | आज ऑफिस में भी बीच बीच में काम करते समय उसके चेहरे की वो हल्की सी झलक बार बार सामने आ रही थी | पता नहीं आज बहुत बेचेनी हो रही थी | क्या था उस चेहरे में जो मुझे इतना बैचेन कर रहा था |  सभी चेहरे जाने पहचाने थे बस वो ही अलग था | मैंने मनोहर से पुछा तो वो बोला की कोई नयी आई होगी | किसी जगह काम करती होगी | मैंने सोचा शायद कल मुलाकात हो जाए |

रोज की तरह दुसरे दिन हम बस स्टैंड पर पहुंचे तो वो बस स्टैंड खड़ी पायी | मैं बात करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा, मनोहर ने पीछे से खींच लिया और बोला चल जल्दी बस आ गयी | में उससे बात नहीं कर पाया | आज ऑफिस में सोच रहा था की कल जरुर बात कर लूँगा |

तीसरे दिन वो चेहरा बस स्टैंड पर कही नजर नहीं आया | मैंने हर जगह देखा लेकिन वो कहीं नहीं दिखी | उस दिन के बाद वो कहीं नहीं दिखी | सोचने लगा की कौन थी और कहाँ से आई थी फिर सोचने लगा की दुनिया गोल है किसी न किसी दिन उससे जरुर मुलाकात होगी | अब जब भी कोई उस बस में चढ़ता दिखाई देता है तो नजरे उसको तलाश रही होती हैं |


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