तीसरा बेटा
तीसरा बेटा
डयूक, मेरा तीसरा बेटा, भूलता नहीं है। उसका वह छोटा सा चेहरा जब मेरा बेटा उसे हमारे घर लेकर आया था। 30 दिन का छोटा सा गोल्डन रिट्रीवर, रुई के जैसे सफेद बहुत ही प्यारा। हैरानी यह थी कि यह कैसे रहेगा अपनी माँ के बिना। लेकिन उसी दिन से ही मुझे एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि वह उदास है । एक तो पागलपन की हद तक प्यार करने वाला मेरा छोटा बेटा और उसी का दूसरा रूप डयूक। हर जगह हर वक्त गोदी में चढ़े रहना। बस सोना तो उसके साथ, खाना है तो उसके सामने बैठ के, सब काम उसी के साथ। डयूक पूरी तरह से वेजिटेरियन था। 1 साल का हुआ तो जब उसका बर्थडे मनाया गया तो मैंने उसे बेटे की एक टी-शर्ट पहनाई और सिर पर हाथ लगाया। बेटा उसे ले जाकर शीशे के सामने खड़ा हो गया उसका वह चेहरा देखने लायक था। बहुत ही प्यारा और ऐसे लग रहा था जैसे वह अपने आप को इस रुप में देखकर खुश है कि वह बेटे जैसा लग रहा है।
उसने टी-शर्ट पहनी थी, अब मुश्किल ये हो गई कि उसके बाद 2 दिन हो गए लेकिन वह अपनी टी-शर्ट ही उतारने नहीं देता था। बहुत बार कोशिश की दोनों बेटों ने पकड़ा कि टी-शर्ट को उतार दें , पर वह न उतार सके। लेकिन जब किसी तरह से उसकी टीशर्ट नहीं बदल पाए तो जबरदस्ती बाथरूम में ले गए और बेटे ने पहले अपनी शर्ट उतारी और फिर उसको दिखा कर कहा कि देखो नहाने के लिए उतारते हैं। हैरानी की बात है कि इतना बोलते ही उसने अपने पैर आगे वाले उठा दिए, जिनमें से उसकी बाजू निकाली थी, और उसकी ड्रेस को उतार दिया गया। नहा कर दोनों बाहर आ गए। उसको तो टी-शर्ट वैसे ही पहनाई थी, इसलिए किसी के दिमाग में नहीं आया था कि वह इंसानों की तरह पसंद करेगा। थोड़ी देर के बाद नहा कर घूमता रहा लेकिन थोड़ी देर के बाद जैसे ही नाश्ता खत्म हुआ तो देखा कि वह बाथरूम में घुसा और अपनी वही टी-शर्ट उठाकर ले आया। और बेटे के ऊपर लगा रहा है कि मुझे पहना दो। हम सब उसको देखकर हैरान, कि देखो उसे कितना शौक कि मुझे भी बच्चों की तरह ही कपड़े पहनने हैं । तब सात्विक ने अपनी दूसरी टी-शर्ट निकाली और उसे पहना दी। वह खुशी से उछल रहा था। मुझे लगा अब दो नहीं तीन बेटे हैं मेरे। उसके लिए कुछ टी-शर्टस निकाल दी गई। अब जब भी उस दिन का किस्सा याद आता है तो सबके चेहरे खिल जाते हैं ।