Ruchi Singh

Drama Inspirational

4.0  

Ruchi Singh

Drama Inspirational

तारीफ की हकदार तो आप है मम्मी

तारीफ की हकदार तो आप है मम्मी

4 mins
411


तुषार दिल्ली शहर में ही नौकरी करता था। महक और तुषार दिल्ली शहर में एक ही ऑफिस में काम करते थे। कुछ ही दिनों में उनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। दोनों ने जल्द ही कोर्ट मैरिज कर ली। दोनों बहुत ही खुश थे अपनी वैवाहिक जीवन में। महक व तुषार दोनों अच्छा खासा पैसा कमाते थे तो जल्दी ही एक फ्लैट भी ले लिया।

महक के माता-पिता उसी शहर में रहते थे। उन्हें महक की चॉइस तुषार बहुत ही पसंद आया। वो समय-समय पर उसके सुख -दुख में हमेशा साथ देते थे।

तुषार के माता-पिता वसुधा जी और कमल जी गांव में रहते थे। जब उनको तुषार की शादी के बारे में पता चला तो उनको बहुत ही अफसोस हुआ। तुषार ने तो शादी में भी बुलाया पर वह लोग नहीं पहुंच पाये। शादी के बाद भी तुषार के माता-पिता उसके पास कभी आए नहीं। जब समय मिलता था तुषार ही अकेले जाकर अपने माता-पिता से मिलकर आ जाता था।

महक अपने विवाह के निर्णय व तुषार से खुश तो थी पर गांव के ससुराल तथा रहन-सहन में बहुत अंतर होने से उसका भी अपने सास-ससुर से कोई जुड़ाव नहीं हो पाया।

कुछ ही महीनों में महक गर्भवती हुई और उसने प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। डिलीवरी के समय महक के माता-पिता ने पूरा सहयोग किया।

तुषार के बहुत जोर देकर बुलाने पर 15 दिन बाद तुषार के माता-पिता उनके घर आए। पोती का मोह तुषार के माता-पिता को अन्तत: खींचा ले आया। पहली बार वो लोग शहर आए और पहली बार ही उन्होंने बेटे का आलीशान बड़ा सा फ्लैट भी देखा। अपने बेटे बहू की तरक्की देख बहुत ही खुश हुए दोनों। मां बाप ने किसी तरह अपने बेटे को पढ़ाया था । आज बेटे की तरक्की देख दोनों को अपने बेटे पर बहुत गर्व हो रहा था।

शुरू में महक को सास के साथ थोड़ा असहज लगा। वसुधा जी ने पुराने सारे गिले-शिकवे भुला कर महक व पोती की अच्छी तरह देखभाल शुरू कर दी। बहू को पौष्टिक आहार व पोती को नहलाना धुलाना मालिश वगैरह का सारा जिम्मा उन्होंने बखूबी निभाया। महक को पहली बार सास से मां जैसा अपनापन महसूस हुआ।

सवा महीने बाद बच्चे के नामकरण की पूजा रखी गई।

नामकरण के फंक्शन में कुछ खास ही लोगों को बुलाया गया था। सारी तैयारियां बहुत ही अच्छे से की गई थी। तुषार की मां ने सोहर के समय के लिए अपने हाथों से बने ड्राई फ्रूट्स के ढेर सारे लड्डू महक के लिए बनाये थे ,जिससे वह उसको खाकर स्वस्थ हो जाए।

सारा खाना हलवाई से तैयार कराया गया था। वसुधा जी को सबके बीच जाने में बहुत ही संकोच लग रहा था। वह अपने कमरे में ही बैठी थीं।

महक ने सारे खानों के साथ मम्मी जी के बनाये हुए लड्डू भी रखवा दिए खाने की मेज पर। सबको खाना खाने के समय महक लड्डू को भी लेने का आग्रह कर रही थी।

देखने में थोड़े सामान्य थे वह लड्डू। पर जो खाए उसकी तारीफ किये बिना रह ही न पाये। महक सबके मुंह से तारीफ सुन बहुत ही खुश हो रही थी। उसने बोला "तारीफ की असली हकदार तो मम्मी जी हैं। मैं उन्हें अभी लेकर आती हूं।"

महक जल्दी से कमरे में जाकर मम्मी जी से जिद करके सबके सामने लेकर आई। वह सामने आने में हिचक महसूस कर रही थी । उनको मन में एहसास था यह सब शहर के लोग इतने पढ़े लिखे हैं मैं उनके सामने कैसे जाऊं? पर जैसे ही महक मम्मी जी को लेकर आई। सब बोले "आंटी जी आपके लड्डू बहुत ही स्वादिष्ट व लाजवाब है। दिल तो खुश हो गया।"

किसी ने बोला "घर की याद आ गई" कोई बोला "मां के हाथ के खाने की याद आ गई" वसुधा जी को बहुत ही खुशी हुई सब का प्यार व सम्मान पाकर।

महक ने भी अपनी सासू मां के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला "आज मैं एक बात स्वीकारती हूं कि, तुषार भी तो इतने अच्छे हैं इसके लिए सारा श्रेय मेरी मम्मी जी ही हैं। इनके दिए हुए अच्छे संस्कार ही तुषार में आए हैं।" सभी लोग महक की बात से सहमत थे।

वसुधा जी महक की व सब लोगों की प्यार भरी बातें सुनकर बहुत हर्षित हुईं। आज उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए। वह सोची शायद महक से अच्छी लड़की मैं कभी ना ढूंढ पाती। जैसा कि तुषार ने पसंद किया है शायद मुझे भी ऐसी ही बहू चाहिए थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama