सुनसान सड़क
सुनसान सड़क


संध्या का समय और सुनसान सड़क। सुनसान सड़क अक्सर लोगों को डरा देती है लेकिन शिवानी के लिए आज यह सबसे खूबसूरत सफर था । लोगों की रूढ़िवादी सोच को हरा कर खुद को आज काबिल जो बना लिया था। पापा के जाने के बाद...ताऊ, चाचा की खड़ी गई छोटी और रूढ़िवाद मुश्किलों को पैरों तले दबा कर शिवानी ने अपनी काबिलियत का परचम लहराया था। आज उसके हाथ में अपनी पहली जॉब का अपॉइंटमेंट लेटर था। डूबते सूरज की लालिमा की खूबसूरती और चिडि़यों की चहचहाहट हृदय में अमृत सा घोल रही थी। सुनसान सड़क पर शिवानी आज मस्त हवा के झोंके की तरह बह रही थी घर की ओर। उसे अपनी माँ के गले से लिपट कर अपनी खुशी को जो दुगना करना था । कुछ इस तरह सुनसान सड़क का सफर शिवानी के लिए ख़ुशनुमा बन चुका था।