सुहागरात
सुहागरात


वो आज बहुत खुश थी, मायके से शादी करके नए शहर में जा रही थी। गाँव में उसने जो देखा समझा था तो उसे लगता था कि नए शहर में उसे नए लोगों के बीच नई ख़ुशियाँ मिलेगी। गाँव मे उसके पापा, बड़े भाई सभी लोग शराब के नशे में घर पर बवाल करते थे। आज उसे अब सबसे छुटकारा मिल सकेगा।ससुराल के सभी लोग उसे बेटी की तरह रखेंगे और उसे जो प्यार न मिला है वो अब सबका प्यार मिलेगा। पति भी सगाई के बाद से उसे प्रत्येक दिन उसका हाल चाल लेते थे। गाड़ी ससुराल के दरवाज़े पर आ गयी, सभी लोग स्वागत के लिए आए, उसकी आरती हुई, सभी लोग उसको लक्ष्मी और सुन्दरता की देवी बोल रहे थे। वो प्रफ्फुलित थी। उसे लगने लगा कि वो स्वर्ग में आ गयी, उसे अपने सपनों का घर मिल गया। रात हो गयी, उसके कमरे को देवर और बड़ी भाभी ने मिलकर सजाया। कमरा चमेली और गुलाब के खुशबू से भर गया था। वो बिस्तर पर सज धज कर बैठी। पति का इंतजार करने लगी। रात होने लगी, सभी लोग सोने लगे पर उसके पति नहीं आये, वो इंतजार करती रही। दरवाज़ा आधी रात को खुला, पति कमरे में लड़खड़ाते हुए आये, उनके मुख से वो बदबू आ रही थी, जिससे वो नफरत करती थी। वो शून्य हो गयी।