सुहागरात
सुहागरात
सुमन, हां, शील कैसे हो ?
मैं अच्छी हूं। तुमको देख कर आज बेहद खुशी हुई।
मुझे भी शील। सुमन, अगर तुम मुझे ना मिलती तो मेरा क्या होता ।नहीं शील ऐसा मत कहो ।मैं तुम्हें हमेशा मिलती। सुमन, तुम्हारे बिना मेरा जीवन अधूरा है ।अच्छा, सच कह रहे हो ।हां, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?
है ना शील। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। तुम नहीं जानती सुमन, तुम्हारा प्यार मेरा सब कुछ है ।
शील को प्यार भरी निगाहों से देखती हुई सुमन कहती है," शील, तुमने मुझसे आज शादी ना की होती, तो मैं मर ही जाती।" शील सुमन के चेहरे को हाथों में लेकर कहता है।
ओ मेरी पगली सुमन, तुम मर भी जाती तो भी मैं तुम्हें कभी नहीं भूलता। वैसे अगर आज तुम मर भी जाओगी तो भी मैं बहुत खुश हूंगा। सुमन शील को अजीब सी नजर से देखती है ।यह क्या कह रहे हो ?शील। अरे पगली तुमसे शादी की है। तुम अपने मां बाप की इकलौती बेटी हो ।तुम्हारे मरने के बाद भी यह धन -दौलत सारी मेरी है, जिससे मैं जिंदगी भर आराम करूंगा और अगर तुम जिंदा भी रही तो भी तुम मुझे इतना प्यार करती हो कि मेरे बिना मांगने पर भी सारी धन-दौलत व जायदाद मेरे नाम लिख दोगी। सुमन का खिला हुआ चेहरा उसी पल मुरझा गया और सुहागरात की सेज जो फूलों से सजी थी उस पर दौलत की चादर बिछ गई।