ससुराल रूपी पिंजरा भाग-2
ससुराल रूपी पिंजरा भाग-2
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बी ए की परीक्षा होते ही पूनम की शादी उसके पिता ने अपने अफसर के बेटे से कर दी।माँ-बाप की इच्छा और खुशी देखते हुए उसने उनका मान रखते हुये शादी कर ली और बहू बनकर ससुराल पहुंची।
अब आगे---
बहुत ही राजसी वैभव से सजा संवरा बड़ा सा बंगला था।घर में नौकर भी थे और सुख सुविधाओं की सभी वस्तुयें मौजूद थीं। बहुत से पारम्परिक रीति-रिवाज निभाते हुए दो दिन बीत गये।
शादी के दो दिन बाद बहुत बड़ा रिसेप्शन उसके ससुराल वालों ने आयोजित किया लेकिन उसे यह जानकर बड़ा दुःख हुआ कि उसके मां-बाप को वहां बुलाया नहीं गया था।अंदर ही अंदर उसने अपने को बड़ा अपमानित और दुःखी महसूस किया और अपने पति नितिन से इस बारे में बात की।
क्या आपने पापा को मैसेज नहीं किया?
नितिन ने एक बार उसको गहरी निगाह से देखा और कहा, शायद मम्मी पापा ने किया होगा,मुझे पता नहीं.... तुम इस बात को छोड़ो और रिसेप्शन के लिए तैयार होने ब्यूटी पार्लर चली जाओ गाड़ी में।
और देखो.. अच्छे से तैयार होकर आना,तुम्हें बहुत खूबसूरत दिखना है आज।
अभी वह कुछ और पूछती उससे पहले ही सासु मां आ गई और एक पैकेट उसके हाथ में थमा दिया।ये कपड़े पहनने हैं और ये सेट.. ठीक है.. और अब देर मत करो तैयार होने चली जाओ।
नितिन कमरे से बाहर चला गया था तो उसने अपनी सासु से भी पूछ लिया, मम्मी जी एक बात पूछनी थी... ।
हां, हां पूछो...
"आपने मम्मी-पापा को नहीं बताया क्या रिसेप्शन के बारे में ?"
उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी सासु मां ऐसा ज़बाब देगी।
"यह हमारे अपने घर का फंग्शन है और यहां बहुत बड़े-बड़े लोग आएंगे,तो यहां उनका कोई काम नहीं।"
पूनम अपनी सासु मां की बात सुनकर अवाक् रह गई।उसे समझ नहीं आया,वह कैसे प्रतिक्रिया दे ?
" चलो अब गाड़ी तैयार है। तैयार होने के लिए जाओ। शाम को तुम्हें बहुत खूबसूरत लगना है।सभी मेहमान तुम्हारी तारीफ करें और तुम्हारी सुंदरता में इतना खो जाएं कि तुम्हारे घरवालों के बारे में पूछना ही भूल जायें।"
अपने परिवार वालों के बारे में ससुराल वालों के ख़यालात सुन पूनम को बड़े जोर का धक्का लगा।
बड़े बड़े लोगों से उसे मिलवाया जा रहा था। पूनम बाहर से तो मुस्कुरा रही थी,सबसे नमस्ते कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर उसका दिल रो रहा था।शादी होते ही उसके ससुराल वालों का व्यवहार उसके मायके वालों के प्रति एकदम से कैसे बदल गया।
खैर जैसे-तैसे पार्टी समाप्त हुई और पूनम अपने कमरे में थकी हुई निढाल कपड़े उतारने लगी।तन से ज्यादा वह मन से थक गई थी। उसने अपनी ससुराल में स्वयं को अजनबी और अकेला महशूस किया।सब अपरिचित और बेगाने। जिसके साथ वह बंधकर आई वह भी कहां पहचाना सा है..
अभी वह सोचों में गुम थी कि तभी वहां नितिन आ गया और उसने आते ही उसको बाहों में जकड़ लिया।
आज बहुत सुंदर लग रही हो तुम बिल्कुल परी... ।उसके मुंह से शराब की गंध आ रही थी।पूनम को उबकाई आने लगी।
"यह क्या आप शराब पीते हैं ?" पूनम ने घबराकर पूछा।
नितिन हंसते हुए उसे खींचने लगा, "हां इसमें क्या है?
सभी बड़े लोग पीते हैं पार्टियों में.... ।"
"लेकिन आपने शादी से पहले तो यह नहीं बताया था... "अपने को नितिन से दूर करते हुये पूनम ने घबराते हुये कहा।
लो इसमें बताने वाली क्या बात है,बड़े घरों में सभी पीते हैं।
हां.. लेकिन तुम क्या जानो, तुम कभी बड़े लोगों में बैठी नहीं ना... ।
नितिन ने बड़ी सहजता से कहा लेकिन पूनम के दिल को यह बात तीर सी चुभी।उसे समझ आ गया कि जैसा वह या उसके घरवाले समझ रही थे,उसके ससुराल वाले और वहां का माहौल वैसा नहीं है।शायद वह गलत जगह आ चुकी है।
क्या वह मां पापा को बताये?
नहीं ... उन्हें बहुत बुरा लगेगा।वह धैर्य से काम लेगी।पहले खुद परिस्थितियों को देखेगी, उसके बाद ही कोई निर्णय करेगी।
नितिन निढाल ऐसे ही सो चुका था और पूनम की सारी रात करबटें बदलते हुए बीती।
क्या नितिन रोज पीता है... बड़ घर के बिगडैल लड़कों की तरह तो नहीं... उसके साथ उसकी कैसे निभाएगी... बहुत सी बातें उसके दिलो-दिमाग में घूम रहीं थीं और फिर सुबह के समय उसकी आँख लगी।
क्रमशः - -