सपनों की मृत्यु
सपनों की मृत्यु
"यूँ हसरतों के दाग, मोहब्बत मे धो लिये खुद दिल से दिल की बात कही औ रो लिये"जैसे ही निधि ने गाना खत्म किया। हाल तालियों से गूँज गया।पूनम दौड़ कर निधि के पास आई और लिपट कर बोली "मां, कितना अच्छा गाया आपने, लाजवाब।" निधि ने कोई जवाब नहीं दिया, उसके आंखों से आँसुओं की धारा बह निकली। अंदाज लगाना मुश्किल था ये आँसू खुशी के है या पचास सालों का मन मे जमा गुबार आंखों के रास्ते बह निकला है। आज निधि और वसंत जी की गोल्डन मैरिज एनिवर्सरि मनाई जा रही थी। निधि और वसंत जी ने बहुत मना किया। खास तौर पर वसंत, उन्हें ये नौटंकी लगती थी पर पूनम और राघव ने ज़िद कर ली। ये सेलिब्रेशन तो धूम धाम से करेंगे। आनन फानन मे बढ़िया हॉल,केटरर,बुक किया गया। इनविटेशन कार्ड छपे। कार्यक्रम की रुप रेखा बनी।
इस मौके पर पूनम ने निधि से कहा-मां प्रोग्राम मे आपका गाना होगा "। निधि घबरा गई-"नई बेटा मुझे गाना वाना नहीं आता"। "मां ,मैने कई बार अकेले मे आपको गुनगुनाते सुना है" "गुनगुनाना अलग बात है।सब के सामने गाना अलग। पूनम बेटा,इन सबसे मुझे दूर रखो" "मां ,आपको मेरी कसम।मेरी खातिर आप गाइये।बस इस प्रोग्राम मे।मां प्लीज।"बात माननी पड़ी निधि को।और सत्तर साल की उम्र में, शायद पचास वर्ष बाद उसने इतने लोगों के बीच गाया। वैसा ही सधा, मीठा स्वर। मन मोह लिया सबका निधि ने।
अतिथियों ने खुले मन से तारीफ की। बसअगर किसी ने प्रशंशा नहींं की तो वह थे वसंत, निधि के पति। बीस बरस की रही होगी निधि, जब वसंत के घर ब्याह कर आई। कितना मना किया था, मां और बाबूजी से, कि पोस्ट ग्रेजुएशन तो हो जाने दे। पर यही जवाब मिला- वो तो शादी के बाद भी कर सकती हो बेटा। इतना अच्छा घर वर आगे भी मिल जाएगा जरुरी नहीं।
बस सहाय जी के एक ही बेटा है, एक बेटी। बेटी का ब्याह हो गया है। वसंत की कम्पनी उसे विदेश भेजने वाली है। सहाय जी कह रहे थे बहू को भी साथ ही भेज देँगे ।" किसी ने भी निधि की नहींं सुनी। वो एक सफल गायिका बनना चाहती थी। सुरों की साधना कर रही थी। जाने कितने पुरुस्कार लिये इस क्षेत्र में उसने। काँच की अलमारी में बंद है, जीती हुई सारी शील्ड, सारे प्रमाण पत्र। शादी हुई, ससुराल आ गई। बंधनों का घर। वहाँ के रीति रिवाजो में बँध जाना, आदेश हुआ सासू जी का-गाना बजाना मिरासीयों का काम है। भले घर की बहू बेटियाँ स्टेज पर गाने नहीं गाती।
मायके जा रही हो तो अपना हार्मोनिया,सितार न उठा लाना। घर गिरस्ती के काम देखो। वसंत कंपनी के काम से महीनों के लिये बाहर जाते। निधि, यहीं रहती। एक बार वसंत से कहा भी, साथ ले चलने के लिये जवाब मिला -"अम्माँ से पूछो।"
अम्माँ से पूछा तो बोली--तुम्हारी ननद रानी आ रही है तुमसे मिलने। तुम नहींं मिलोगी उसे बुरा नहींं लगेगा क्या ?"
वसंत अकेले चले गये। झूठ बोला था अम्मा ने। निधि जानती थी। दीदी नहींं आने वाली, उनके बेटे के पेपर चल रहे थे उस वक्त। उसके बाद निधि ने कभी साथ चलने के लिये नहीं कहा। जब तक वसंत के अम्मा, पिताजी जीवित रहे।
निधि उनके पास ही रही। वसंत के लिये मां पिता की आज्ञा सर्व मान्य होती, जो निधि की खुशियों के लिये हमेशा अमान्य होती। मां पिताजी के स्वर्गवास के बाद वसंत ने कंपनी के काम से बाहर जाना बहुत कम कर दिया। तब तक निधि का जीवन भी बदल गया था। वह दो किशोर बच्चो की मां हो गई थी। वसंत को शारीरिक बीमारियाँ जकड़ गई थी। निधि, पति और बच्चो की सेवा, देखरेख में उलझ गई। जिन्दगी, गृहस्थी चलाने की मशीन बन कर रह गई।
समय पंख लगाकर उड़ा, सपने मन के किसी कोने मे दफन हो गये। बच्चों की शिक्षा, शादी ब्याह। जब तक निधि की बेटी निमिशा रही, निधि ने उसके सपनों की उड़ान मे उसका सहयोग दिया। आज वह स्टेट लेवल की मानी हुई कथक नृत्यांगना है। उसके विवाह के बाद निधि का अकेलापन दूर करने और निमिशा का विकल्प बनकर आई, बेटे राघव की पत्नी, निधि की बहू। पूनम। आज का कार्यक्रम, गोल्डन एनिवर्सरी सेलिब्रेशन बहुत ही शानदार रहा।
राघव को तो बेहद आश्चर्य था उसकी मां इतना अच्छा गाती है। थकान के बावजूद,सभी प्रसन्न्ं थे। "मां कितना अच्छा गाया आपने,आपकी आवाज मे मिठास के साथ कितना दर्द भरा था। ओह मां,गज़ब"। निधि के गले से छोटे बच्चे की तरह झूल गई पूनम। बोली- "मैं कल ही नानी के घर से, अलमारी में बंद आपकी सारी शील्ड, प्रमाण पत्र ले आऊंगी मां, मुझे आप पर गर्व है।"
"मैंने गायिका बनने का सपना देखा था पूनम। शायद सपने को सच भी कर लेती अगर उनका गला न घोटा जाता तो।"
"क्या कह रही हो मां।"
"हाँ बेटा, किसी को जान से मारने वाला ही हत्यारा नहीं होता। किसी के सपनों का, अरमानों का गला घोटने वाले भी हत्यारे होते हैं।"
कहकर निधि ने वसंत की ओर देखा, जो निर्विकार सा सोफे पर, आँखें बंद किये हुए लेटा था।
"मैं समझ गई मां।"
पूनम ने निधि को अपने गले से लगा लिया। जैसे आश्वाशन दे रही हो कि वो आने वाली अपनी पीढ़ी के साथ ऐसा नहीं होने देगी।
