सपनों की कोई उम्र नहीं होती
सपनों की कोई उम्र नहीं होती
स्कूल से आते हुह राहुल बाहर से चिल्लाते हुए ही बोला "मम्मी ,दादू, कहां हो आप सब।"
"अरे भाई क्या हुआ आज जो इतना शोर मचा रहे हो ?"
राहुल ने अपनी ट्रॉफी व सर्टिफिकेट दिखाते हुए कहा "दादू आज मैं अपने स्कूल की रेसिंग चैंपियनशिप में फर्स्ट आया हूं।"
" अरे वाह ! मेरा पोता तो बिल्कुल मुझ पर गया है।"
दादू आप ,आप कब से रेसिंग चैंपियन हो गए!"
" अरे बेटा किसी टाइम में तेरे दादू भी अपने स्कूल, कॉलेज के रेसिंग चैंपियन हुआ करते थे,स्पेशली मैराथन के"
" पर आपने तो कभी बताया ही नहीं।"
" बस बेटा नौकरी के बाद यह सब पीछे छूट गया।"
"तो दादू अब तो आपकी जॉब भी नहीं है,अपनी इस हॉबी को फिर से शुरू क्यों नहीं करते। "
"अरे भाई अब इन बूढ़ी हड्डियों में इतनी जान कहां की वह दौड़ लगाएं।"
" कैसी बात करते हो दादू , आपको पता है अमेरिका में रहने वाली हमारे देश की एक भारतीय महिला ने एक सौ दो साल की उम्र में चैंपियनशिप जीती है तो उस हिसाब से तो मेरे दादू अभी जवान हैं।" राहुल हंसते हुए बोला।
"खूब टांग खींच दादू की।"
" दादू मैं मजाक नहीं कर रहा। अच्छा आप यह बताओ आपका मन करता है ,फिर से रेसिंग ट्रैक पर जाने का।
"क्यों नहीं करता बेटा । यह तो मेरा जुनून था, लेकिन अब मुझ बूढ़े को कौन हिस्सा लेने देगा। "
"आपको पता नहीं दादू, हमारे शहर में समय-समय पर कई मैराथन होती है। आज शाम तक मैं आपको सर्च करके बताता हूं।"
शाम को राहुल ने अपने दादू को बताया कि अगले महीने ही इंडिया गेट पर एक हाफ मैराथन का आयोजन होने जा रहा है और मैंने आपका उसके लिए रजिस्ट्रेशन भी कर दिया।
"मुझसे पूछ तो लेते। अब तो मेरी प्रैक्टिस भी छूटे कई साल हो गए हैं। बहुत देर हो चुकी है मुझसे नहीं हो पाएगा।"
इतनी देर में उनका बेटा भी ऑफिस से आ जाता है और उनकी बात सुन कर बोला "पापा किस चीज के लिए देर हो गई है?"
तब राहुल ने उन्हें सारी बातें बताई । यह सुनकर वह बोला
"पापा आपको याद है। जब मुझे दसवीं क्लास में टाइफाइड हो गया था तो मैं बिल्कुल ही हिम्मत हार चुका था ।तब आपने कहा था कि बेटा अपने पर विश्वास रख। मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत। पापा आज यही मैं आप से कहता हूं कि मेरे पापा सब कुछ कर सकते हैं। और कल से मैं और राहुल आपकी सुबह शाम प्रैक्टिस करवाएंगे और आपकी बहू आपकी डाइट का ध्यान रखेगी।"
अगले दिन सुधीर जी पार्क के दो चक्कर लगाते ही थक कर बैठ गए। राहुल ने अपने दादा का हौसला बढ़ाते हुए कहा " दादू धीरे धीरे शुरू करो सब हो जाएगा। मेरे दादू चैंपियन हैं ,और चैंपियन ही रहेंगे। " यह सुन सुधीर जी के पैरों में फिर से जान आ गई और उन्होंने मन में ठान लिया की वह फिर से उसी जोश के साथ ट्रैक पर उतरेंगे।
आखिर वह दिन भी आ गया। पूरा परिवार आयोजन स्थल पर था। अपने साथी प्रतिभागियों को देख सुधीर जी एक बार तो निराश हुए क्योंकि सभी युवा थे और वही उन सब में सबसे उम्रदराज थे। सब उन्हें अजीब नजरों से देख रहे थे। राहुल व उनके बेटे ने उनका हाथ पकड़ कहा "पापा आप सिर्फ अपने लक्ष्य पर नजर रखिए और अपने अधूरे सपनों को साकार करिए। ऐसा मौका आपको बार-बार नहीं मिलेगा और जो लोग आपको हेय दृष्टि से देख रहे हैं ।इस रेस के खत्म होने के बाद मुझे विश्वास है कि वह आपको सर आंखों पर बिठा एंगे।
रेस की शुरुआत में सुधीर जी ने अपने अनुभव के अनुसार धीरे-धीरे दौड़ना शुरू किया। आधे घंटे तक वह उसी चाल से दौड़ते रहे। जिसके कारण वह काफी पीछे थे। लेकिन नजर उनकी लक्ष्य पर ही थी। दौड़ते हुए उनके मन में बस एक ही विचार था मुझे अपना सपना पूरा करना है। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ाई। जो प्रतिभागी शुरू में तेज दौड़े थे, वह धीरे-धीरे पीछे छूटते गए। सुधीर जी अपनी नई उड़ान भरने के लिए दौड़े जा रहे थे और वह कब सीमा रेखा पर पहुंच गए उन्हें पता ही नहीं चला। उनके बेटे व पोते ने आ कर उनको गले लगाया तो मानो वह ख्वाबों की दुनिया से वापस बाहर निकले हो। "पापा आप ने कर दिखाया।" "मेरे दादू नये चैंपियन हैं।" राहुल ने उन्हें गले लगाते हुए कहा।
"दादू आपने पिछले साल के मैराथन चैंपियन को पीछे छोड़ दिया है। आप तीसरे नंबर पर आए हो।" इतनी देर में ही कैमरो की चमक उनके चेहरे पर चमकने लगी। लोगों ने उन्हें घेर लिया। वह चुपचाप वही रेसिंग ट्रैक पर बैठ गए और उनकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली।