reema bindal

Classics

4.7  

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सपनों की दुनिया

सपनों की दुनिया

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समृद्ध परिवार में जन्मी थी सोनाक्षी। अपने घर की पहली बच्ची थी। लड़की थी ! पर घर में सब बहुत खुश थे, सब की परी और लाडली थी वो। इतने खुश थे सब कि उसके घर के मुखिया "उसके बाबा" ने बहुत बड़ी पार्टी रखी।

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के जाने-माने व्यापारी थे सोनाक्षी के बाबा और सोनाक्षी के पापा कानपुर की सूत की १३ मिलों के ठेकेदार थे, जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते थे, उस उम्र में वह नोटों की गड्डियों से खेला करती थी, कुल मिलाकर सोने की चम्मच मुँह में लेकर पैदा हुई थी सुनाक्षी।

परंतु सपनों की दुनिया तो सबकी होती है, सोनाक्षी की थी, जब वह छोटी थी तो छोटी-छोटी ख्वाहिशें और छोटे-छोटे सपने थे उसके, चॉकलेट खाना उसे बहुत पसंद था, उसके घर वाले उसके जन्मदिन पर बड़ी सी पार्टी की तैयारी करते थे और वह सपने देखती थी कि काश! मुझे एक साथ दस "डेरी मिल्क चॉकलेट" मिल जाएँ।, जब वह आठवीं कक्षा में थी तब जाकर उसका यह सपना पूरा हुआ, मार्च का महीना था, उसकी बुआ की बेटी की दिल्ली में शादी थी और उसकी परीक्षाएँ चल रही थी क्योंकि सोनाक्षी के 'माँ-पापा' घर में सबसे बड़े 'बहू-बेटे' थे, तो उनका जाना तो आवश्यक था शादी में।. 

पापा ने सोनाक्षी से पूछा कि उसे उसके जन्मदिन पर क्या चाहिए है!! उसके पापा ने तोहफों के नाम की झड़ी लगा दी "बार्बी डॉल सेट, किचन सेट, नैनीताल की सैर, मनाली की सैर, आदि-आदि।. मौका पाते ही सोनाक्षी तपाक से बोली- "मुझे दस डेरी मिल्क चाहिए है बड़ी वाली"। माँ-पापा का हँस-हँस कर पेट फूल गया।

जब सोनाक्षी १८ वर्ष की हुई तो आपको विश्वास नहीं होगा उसका क्या सपना था।. बताऊँगी तो आप आश्चर्य चकित रह जाएँगे।. तो चलिए बताती हूँ।. बचपन से ही वह ऐसे घर में रही थी, जिसे लोग कानपुर का ताजमहल कहते थे किसी समय में।। सोनाक्षी घर बनाने या घर से संबंधित समस्याओं से बिल्कुल अनभिज्ञ थी। अब घर में उसकी शादी की बातें चलने लगी थी, सब की बातें सुनकर उसके भी मन में कई इच्छाएँ जागने लगी थी, "घर इतना बड़ा नहीं होना चाहिए, छोटा-सा, प्यारा-सा होना चाहिए, और तो और वह बने बनाए घर में जाना ही नहीं चाहती थी, बल्कि अपने हिसाब से अपना प्यारा सा घर बनाना चाहती थी।

वह अपनी अलग ही सपनों की दुनिया में रहने लगी थी, कहती भी तो किस से कहती वो अपने सपने।. कौन सुनता। और कौन मानता।. उसकी यह बातें!! माँ से एक-आद बार बातों बातों में मज़़ााक में उसने कहा भी तो। माँ कहती।. पागल है लड़की!! ऐसा भी कोई सोचता है।।

 ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था। उसके पापा की कार दुर्घटनाग्रस्त हुई और डॉक्टरों ने कहा कि अब वह कभी अपने पैरों पर चल नहीं सकेंगे। यह सदमा बाबा सह न सके और चल बसे।. देनदारों का तो अता-पता न था, लेनदार सर पर आकर खड़े हो गए थे। पल में जैसे सोनाक्षी और उसकी माँ की दुनिया पलट गई।. जो शानो-शौकत थी अब वह न रही थी।

सुनाक्षी के सपनों के अनुसार ही उसकी शादी एक साधारण परिवार में हुई।


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