meghna bhardwaj

Tragedy

4.5  

meghna bhardwaj

Tragedy

सपनो का शहर मुम्बई

सपनो का शहर मुम्बई

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गाँव से भागकर आयी संगीता,शहर में रहने को ठिकाना और काम ढूंढ रही थी।

संगीता के मा बाप,जबरदस्ती उसकी शादी उससे 30 साल बड़े आदमी से करा रहे थे।।

संगीत भागकर मुम्बई आ जाती है, हीरोइन बनने के सपने लेकरमुम्बई महानगरी थी जहां बहुतो की किस्मत का सिक्का चमका था, उसकी आँखों मे भी सपने थे अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थी।

अब मिलते है गौरव से

गौरव एक बहुत बड़ी फिल्म इंडस्ट्री का डायरेक्टर था।अब तक उसने काफी लोगो को काम दिलाया था।संगीता ज्यादा पढ़ी लिखी नही थी, दुनिया दारी की कुछ समझ नही थी।संगीता रोज़ काम की तलाश में यहां वहां भटकती पर कही काम नही मिलता।सभी डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स को एक हॉट लड़की चाहिए थी,संगीत एक गाँव की सीधी साधी लड़की थी,

संगीता का अभी तक रहने का भी कोई ठिकाना नही थावो एक जंगल इलाके के टूट झोपड़ी में थी।बिना पैसे उसे घर कौन देता।एक दिन संगीता काम की तलाश की में जा रही होती है तभी उसे एक 30 40 उम्र का आदमी मिलता है।

"यहां नई नई लगती हो"......आदमी संगीता से पूछता है 

"ह ह ह हाँ", संगीता हिचकिचाते हुए जवाब देती है।

"यहां काम की तलाश में आई हो, बहुत मुश्किल है तेरी जैसी गवार को कौन बनाएगा हीरोइन."........वह आदमी संगीता का मज़ाक बना कहता है।।

संगीता कुछ नही कहती चुपचाप वहां से चली जाती है।

"अरे रुक कहाँ जा रही है, देख तू यहां नई है, औऱ ये मुम्बई है यहां पल भर में कब क्या हादसा हो जाए पता भी नही लगता।एक काम कर मेरे साथ चल,मैं तुझे रहने को एक कमरा दूंगा,2 वक़्त की रोटी।यहां कब तक भटकेगी"....…वो आदमी संगीता से कहता है।

संगीता उसे मना कर देती है,तभी दो लड़के तेजी से बाइक पे आते है और संगीत के बदन पे से उसका दुपट्टा खीच के ले जाते है।

"देखा,अभी तो सिर्फ दुपट्टा गया है, इज़्ज़त तेरे हाथ मे यहां अकेली कब तक बचेगी ऐसे हैवानो से"........वो आदमी संगीता से कहता है।

संगीता डरी, घबराई उसे कुछ समझ नही आ रहा थाआखिर वो ऐसे किसी अनजान पे भरोसा कर उसके साथ भी नही जा सकती थी।और मुम्बई जैसी महा नगरी में अकेले गुज़रा भी नही कर पा रह थीसंगीता सोचती है

(मुझे अभी सबसे ज्यादा जरूरत एक रहने की जगह की है, एक बार रहने को सही ठिकाना मिल जाये तो बस फिर काम की तलाश रहेगी और फिर मैं वहां से चली जाऊंगी)संगीता उस आदमी के साथ चली जाती है।

"इतना छोटा घर,यहां तो बस एक ही कमरा है, मैं यहां रहूंगी तो तुम कहां रहोगे"......संगीता

आश्चर्यचकित हो पूछती है।

तभी आदमी खिड़के पे लगे पर्दो को निकलता है और उन्हें बीच मे लगा देता है।

"अब तो ठीक है ना, आधे हिस्से में तू रहना और मेरा क्या है मैं तो वैसे भी पूरा दिन बाहर रहता हूं, खाली रात तो सोने के वासते मुझे घर चाहिए, तो बस एक कोने के आकर सो जाऊंगा"........वह आदमी संगीता से बोलता है

ऐसे ही जैसे तैसे करके संगीता वहां छोटी सी जगह पर अपना गुजारा कर रह रही थी।।

"हाँ भाऊ मैंने बोला था आज 5 लड़कियो को लेके आता हूं, इंटरव्यू के लिए, भाऊ एक दम गज़ब लडकिया, बहुत सुंदर है।इतनी कमाल एक्टिंग करेगी ना पूरी फ़िल्म सुपर हिट हो जाएगी भाऊ...........वह आदमी फ़ोन पर बात करता है।"

"तुम अभी बात कर रहे थे, तुम्हारी कोई जान पहचान है जिससे मुझे भी कोई काम मिल सके, देखो मैं गाव से भागकर आयी हु,मेरा यहां कोई नही है, तुम मुझे भी कही काम दिलवा दो, मैं छोटा मोटा किरदार निभाने को भी तैयार हूं"..............संगीता उस आदमी से विनती कर कहती है।।

"सचमुच काम करने को तैयार है,देख मुझे बाद में कोई लफड़ा नही चाहिए मैं तुझे काम दिलवा दूंगा लेकिन पूरी ईमानदारी से करना"......वह आदमी संगीता से कहता है।।तभी संगीता की मुलाकात गौरव से होती है।

"भाऊ ये है वो संगीता जिसके बारे में मैने तुमको बताया था"

"अच्छा तो तुम हो संगीता,मैं एक नई मूवी के लिए काम कर रहा हु, तुम्हे उसमे एक रोल मिल सकता है"...........गौरव संगीता से कहता है।।

"लेकिन,,,तुम्हे उसके लिये एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा,अगर तुम्हें मंज़ूर हो तो हम आगे बात करे"..........गौरव संगीत से कहता है।।

"जी साहब मैं तैयार हों,बस आप मुझे काम दिलवा दो".......संगीत भावुक होकर कहती है।।

कॉन्ट्रैक्ट इंग्लिश में होता है, संगीता को कुछ समझ नही आता, वो बिना पढ़े sign कर देती है।।

गौरव दूसरी जगह पर उस आदमी का sign लेता है।

''साहब आप तो मुझे काम दिलवा रहे हो, फिर इसके हस्तकाक्षर क्यों"........संगीता हैरानी में पूछती है।।

"अरे यही तो तुम्हे यहां लेकर आया, इसका तो साइन होगा ही ना"

संगीता भोली थी, उसे जैसा बताया जाता वो मान लेती।।

ऐसे ही पांच दिन बीत जाते है,संगीता को गौरव ने अभी तक कोई काम नही दिलाया।।

तभी एक दिन गौरव के स्टूडियो और वही आदमी आता है, और संगीता को जबरदस्ती अपने साथ ले जाता है, गौरव सब देखता है लेकिन उसकी मदद नही करता।।

"छोड़ो मुझे, कहाँ ले जा रहे हो मुझे तुम्हारे साथ नही रहना तुम मुझे सीधे तरीके से जाने दो,वरना मैं पुलिस में तुम्हारी शिकायत करूँगी".........संगीता डरते हुए कहती है।।।

"आदमी हंसते हुए कहता है पुलिस के पास जाएगी, चल मैं भी चलता हूं तेरे साथ,

क्या बताएगी पर पुलिस को"........आदमी संगीता से कहता है।।

"तू अब मेरी रखैल है, और मैं तुझे जबरदस्ती नही लाया, तू अपनी मर्ज़ी से आयी है"अरे इतनी जल्दी भूल गयी क्या उस एग्रीमेंट पे तूने अपने हाथों से साइन किया था।।उसमे साफ साफ लिखा था कि अब से 6 महीने के लिए तू मेरी रैखल है।।

"ये गलत है,तुमने मुझे नही बताया था कि उसमें ये सब लिखा है,और गौरव साहब उन्होंने भी कुछ नही बताया"......संगीता कांपते हुए कहती है।।

"तो तू गवार थी क्या, एग्रीमेंट पढ़के फिर साइन करती"संगीता फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है।।

6 महीने तक लगातार वो आदमी संगीता का शारीरिक शोषण करता,और उसे मारता पिटता, संगीता की हालत अब बिगड़ ती जा रही थी।।

6 महीने तक उसकी एक एक सांस उसे भारी पड़ रही थी।।संगीता को लगता था कि अब वो इस जाल से कभी नही निकल पाएगी।।जैसे ही 6 महीने बीतते हैं, वो आदमी संगीता को घर से निकाल देता है,लाचार संगीता धक्के खाती हुई इधर उधर भटकती है।।तभी संगीता के जीवन मे हल्की रोशनी की किरण झलकती है।

धर्मेंद्र रोशन जो कि है बहुत बड़े डायरेक्टर थे, वो संगीता को मिलने बुलाते है।और तुरंत ही उससे एक रोल भी दे देते है।।धर्मेंद्र रोशन एक एडल्ट फिल्म डायरेक्टर थे।।लेकिन अबकी बार सब कुछ जानते हुए भी संगीत मान जाती है, उस अब हर हाल में ऊपर उठना था, वो एक्ट करने के लिए तैयार हो जाती है।।फ़िल्म के सीन में संगीत जो एक छोटी ड्रेस पहनने दी जाती है। संगीता को थोड़ा अजीब लगता है लेकिन वो पहन लेती है।और अपने को एक्टर के साथ उसको एडल्ट सीन करना था

शूट खत्म हो जाता है, तुरंत ही डायरेक्टर संगीता को 50000 का चेक देते है,संगीता बहुत खुश होती है, और आगे भी वो ऐसे कई एक्ट करती है और लाखों में पैसा लेती है।धीरे धीरे संगीता वो अब इन सब मे मज़ा आने लगा था, वो अब ये सब खुलके बिना किसी झिझक के करती थी।

एक दिन संगीता के फिल्मो की कैसेट गाँव मे एफ एम दुकान पर बिक रही होती है,

संगीता इतनी बदल गयी होती है कि उसकी फोटो देख भी कोई उसे नही पहचान पाता

लेकिन उसका भाई उसे पहचान जाता है,वो फ़ौरन अपने पिता के पास वो सीडी ले जाता 

"यहां बड़े नखरे कर रही थी किसी बड़े उम्र के से शादी नही करूँगी,और हमारी समाज मे नाक कटवा वहां मुंबई में इतनी अश्लील फिल्मो में काम कर रही है"..........संगीता के पिता गुस्से से आग बबूला हो बोलते है।

"बबलू अब इस छोरी तै कोई उम्मीद को नी इससे पहले की इसकी ये अश्लील फिल्मो की कैसेट सबके पास पहुँचे उससे पहले इसने खत्म करदे इस उम्र में और बदनामी मैं ना झेल सकूं हूँ"..........संगीत के पापा अपने भांजे बबलू से बोलते है।।

बबलू अगली ट्रैन पकड़ फ़ौरन मुंबई पहुँच जाता है,

वहां आस पास के फ़िल्म स्टूडियो में पता करता है जहां ऐसी फिल्में बनती हो, आखिर में 3 दिन तक लगातार पूछताछ के बाद उसे संगीता का पता चलता हैऔर वो वहां संगीता को सीधा गाव ले आता है।

"संगीता मैं तने पहले मारने की सोच रा था,पर तु है तो म्हरो अपनो ही खून, तने कैसे मार सकू हूँ,पर तने तेरी गलती की सज़ा जरूरी मिलेगी".........संगीता के पिता उससे कहते हैं।।और उसकी शादी उसी सख्स से करा देते जिसके कारण वो मुम्बई भागकर आयी थी.....

संगीता की किस्मत में जो लिखा था आखिर में उसे मिलbके ही रहा, फिर चाहे उसने उससे भागने की लाख कोशिश क्यों ना की हो।


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