STORYMIRROR

Rudra Singh

Romance

4  

Rudra Singh

Romance

सोचता हूँ कह दूँ

सोचता हूँ कह दूँ

1 min
394

रात को तुम्हें गुड़ निनी

बोल के सुलाना 

बिना किसी इन्तजार के सुबह

तुम्हारा गुड मॉर्निंग आना 


घर पहुंचने से पहले मोबाइल

घर पहुंच गए लिखा होना

और फिर तुम्हारा गाड़ी

धीमी चलाना कहना,


सोचता हूँ कह दूँ, 

क्या ? नहीं पता ?

अच्छा तुम नहीं दिखते

तो थोड़ी बेचैनी रहती है,


लेकिन दिल मैं भरोसा

रहता है कि तुम हो,

तुम जरा सा ओझल क्या होती हो

मेरी आँखों से लगता है

रौशनी सी चली गयी है,


जब तुम मेरे मैसेज का

रिप्लाई नहीं करती हो

तो इन्तजार रहता है कि कब यह

नीला होगा की कब तुम टाइप करोगी। 

 

और ये तुम हर वक़्त चुप चुपके जो

मुझे देखती हो,

मैं यह सब जानता हूँ 

लेकिन क्या करूँ


तुम्हारे इन इशारों को

समझता हूँ मगर,

खुद भी कहने से डरता हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance