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Abhishek singh rawat

Inspirational

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Abhishek singh rawat

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संचय (बोधकथा)

संचय (बोधकथा)

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एक बहुत ज्ञानी पंडित थे अपने शिष्यों के साथ घूमते हुए समुद्र के किनारे पहुंचे शिष्यों ने समुद्र के किनारे हुए नारियल के पेड़ से नारियल तोड़े और बारी-बारी उनका मीठा पानी गुरुजी को पिलाया पानी पीकर गुरु की प्यास शांत हुई ।

तब उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा तुम यदि कोई बात पूछना चाहते हो तो पूछ सकते हो तभी एक शिष्य ने अन्य सदस्यों की सहमति के आधार पर एक बात पूछी गुरु जी आप तो कहते थे कि दुनिया के सभी दरिया समुद्र में जाकर मिलते हैं

फिर समुद्र का पानी इतना खारा क्यों है?

जब हर दरिया का पानी मीठा होता है।

गुरु जी ने कहा बच्चों यह समुद्र लेता और लेता है देता एक बूंद भी नहीं जो केवल संचय करता है उसमें केवल कड़वाहट या खारेपन के अतिरिक्त कुछ नहीं होता शिष्य गुरु का संकेत तुरंत भांप गए व समझ गए थे यदि जीवन में किसी से कुछ ग्रहण करते हैं तो बदलते में उन्हें कुछ देना चाहिए ताकि लेने देने वाले के बीच मिठास का दरिया बहता रहे। 


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