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Abhishek singh rawat

Inspirational

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Abhishek singh rawat

Inspirational

पंछी किसका

पंछी किसका

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"एक बालक सुबह सवेरे घर के निकट अपने बगीचे में टहल रहा था अचानक पंछी उसके करीब आ गिरा, बालक ने उसे देखा किसी ने उसे गोली मारकर घायल कर दिया था बालक पर उसे दया आई उसने सावधानी से पंछी को पंछी के शरीर से गोरी निकाले और उसका उचित उपचार गया फिर बगीचे में आकर कुर्सी पर बैठकर पंछी के स्वस्थ होने का इंतजार करने लगा!

 तभी एक दूसरा बालक वहां आ गया आते ही वह बोलता "वह पंछी मेरा है. मैंने इसे बंदूक से मारा है"

 इसे मुझे दो सचमुच दूसरा बालक मौजूद था

" नहीं दूंगा "पहले बालक ने जवाब दिया

"क्यों?" दूसरे बालक ने सवाल किया।

"मैंने इसे बचाया है वह मर जाता तो पहले ने तर्क दिया। इसीलिए इस पर मेरा अधिकार है। "

"नहीं मेरा है।"

"नहीं मेरा है।"

दोनों में तू-तू मैं-मैं होती रही दोनों अपनी अपनी बातों पर अड़े रहे तब फिर उन्होंने बगीचे में टहल रहे एक बुजुर्ग आदमी से पूछा दोनों की दोनों के पक्ष दोनों पक्षों ने अपनी बात शामिल है कि सारी वस्तुस्थिति  जानकार बुजुर्ग ने दूसरे से पूछा "थोड़ी देर के लिए मान लो तुम पंछी होते कोई तुम्हें उड़ते समय अपने बंदूक से घायल कर देता तुम जमीन पर गिरते तभी कोई दूसरा तो मैं उड़ाकर तुम्हारे शरीर से गोली निकाल कर तुम्हें स्वस्थ कर देता तो तुम किसके पास जाते मारने वाले के पास की बचाने वाले के पास?"

अनायास ही सब दूसरे वालों के मुंह से निकल पड़े सही कहा बचाने वाले के पास।

"बुजुर्ग ने कहा लो फैसला हो गया ।"

"पंछी पहले बालक का है जिसने उसके शरीर से गोली निकाल कर उसे स्वस्थ किया है."


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