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एहसास- ए- लखनवी

Abstract

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एहसास- ए- लखनवी

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समय रथ का सारथी जीवन मेरा

समय रथ का सारथी जीवन मेरा

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समय रथ का सारथी जीवन मेरा

 हर घड़ी विद्यार्थी है मन मेरा

 खोज यूँ तो कर चुका हूं मैं बहुत

 फिर भी है जिज्ञासु चितवन मेरा

 चला था आदम के युग से

 बन चुका हूं आदमी


 अनंत से अनंत तक यात्रा मेरी

 हर घड़ी सहयात्री कुदरत है मेरी

 सागर की गहराइयों में

 अगर गगन के विस्तार में

 माँ धरा की कोख से

 दस दिशा के हार में

 आहट मेरी

 ब्रह्मांड के विस्तार तक पहुंच मेरी

 हर शक्ति पे अधिकार की चाहत मेरी

 हर रहस्य के संधान की हसरत मेरी

 धरती पे हूं अब चांद है ख्वाहिश मेरी।


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