**समाज सेवा **
**समाज सेवा **
बात उन दिनों की है ,जब मुझे नया-नया शौंक चढ़ा था ,
समाज सेवा का....
मैं और मेरी सखी हम दोनों ने समाज सेवा करने का फैसला लिया अब यह समाज सेवा किस प्रकार की जाए इसके बारे में हम दोनों वार्तालाप करने लगे।
बहुत सोच-विचार के बाद हमने दस महिलाओं का एक समूह बना डाला जिसमें हमारा अहम मुद्दा समाज सेवा ही था ।
हम 10 महिलाओं का जो समुदाय बना था वह जुट गया समाज सेवा के लिए रोज सुबह लगभग दस बजे के करीब हम लोग निकल जाते थे समाज सेवा के लिए, अब समाज सेवा कैसे और किस प्रकार की जाए इस पर हमारा विचार विमर्श चलता रहता था सबसे पहले तो हमने शहर से गंदगी साफ करने का मुद्दा उठाया आप सड़क में कहीं भी फैला हुआ कूड़ा देखकर हम लोग उसे एक कचरे वाले डिब्बे में डाल देते, और हमने अपने हाथों से कुछ पोस्टर बनाए और उन्हें जगह जगह लगा दिया जिसमें हमने लिख दिया था सड़क पर कूड़ा फेंकने वाले पर पांच सौ रुपए जुर्माना ......
उसके बाद हमारे मन में विचार आया कि समाज सेवा किसी और ढंग से भी की गई फिर हमने शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का अभियान चलाया 1 दिन हम झुग्गी झोपड़ियों की तरफ चल दिए वहां देखा तो गंदगी का भंडार .... फिर कुछ ही दूरी पर हमने कुछ बच्चों को खेलते देखा हम उन बच्चों के पास गए हमने उनसे पूछा स्कूल जाते हो कहने लगे नहीं हमने पूछा क्यों वह बच्चे कहने लगे घर वाले कहते है कि स्कूल जा कर क्या करोगे कौन सा पहाड़ तोड़ लोगे पढ़ लिख कर कोई फायदा नहीं मेहनत करनी है और मेहनत के लिए मेहनत करनी आनी चाहिए।
हमें उन बच्चों की बात सुनकर बहुत दुख हुआ हमने उन बच्चों को समझाया बच्चों पढ़ने लिखने से एक तो फायदा यह होगा कि कोई तुम्हें अनपढ़ नहीं कहेगा ना ही कोई तुम्हें बेवकूफ बना पाएगा कल तुम कुछ सौदा करने बाजार जाते हो और अगर तुम पढ़े लिखे होंगे तो कोई भी सौदा अच्छे से कर लोगे और कोई तुम्हें बेवकूफ नहीं बना पाएगा।
और पढ़ लिख कर तुम्हारे अंदर एक आत्मविश्वास जागेगा जो तुम्हें और नए-नए और अच्छे-अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करेगा यह बात सत्य है कि पढ़ लिख कर हर किसी को सिर्फ अच्छी नौकरी ही मिले यह मुमकिन नहीं लेकिन पढ़ लिख कर तुम अपना स्वयं का भी कोई कारोबार कर सकते हो जैसे जैसे कुछ सामान बेचना खरीदना कोई स्टॉल लगाना आदि आदि बच्चों पढ़ाई लिखाई कभी भी बेकार नहीं जाती।
और अब तो हमारी सरकार ने सरकारी स्कूलों में बहुत सुविधाएं बढ़ा दी हैं स्कूल की किताबें स्कूल की ड्रेस यहां तक की दोपहर का खाना इत्यादि भी स्कूल वाले उपलब्ध कराते हैं।
बच्चों शिक्षा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती तुम सब हमसे वादा करो कल से तुम स्कूल जाओगे और पढ़ाई करोगे और पढ़ लिखकर एक समझदार इंसान बनोगे।
उसके बाद हमने उन बच्चों को खाने को कुछ सामान दिया और कुछ कपड़े भी और उनसे पक्का वादा लिया कि कल से वह स्कूल जाएंगे और अपने मां-बाप को शिक्षा के महत्व को समझाएं गें
और अपने आसपास व अन्य कहीं भी गंदगी नहीं खिलाएंगे और स्वच्छता का ध्यान रखेंगे।
देखो बच्चों आज हम शिक्षित है तो हम अपने सारे काम स्वयं के पाते है हम अपने घर पर भी बच्चों को एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं ।
अभी भी हमारा यह समूह कोई ना कोई समाज सेवा का कार्य करता रहता है ।
*मेरा तो मानना है ,अगर हमारी कहीं बातों का किसी एक पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति में परिवर्तन आता है तो यह बहुत बड़ी सेवा है **
