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Jyoti Pattanaik

Abstract Inspirational

3.7  

Jyoti Pattanaik

Abstract Inspirational

समा‌‌‌ज पर एक व्यंग्य

समा‌‌‌ज पर एक व्यंग्य

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एक बार एक अध्यापक जो कि गणित पढ़ते हैं क्लास में प्रवेश किया। और उनके सम्मान में सारे बच्चे खड़े हो।

गए। अध्यापक आज बड़े खुश नज़र आ रहे थे। उन्होंने

बच्चो से कहा आज मैं आप लोगों को कुछ नया सिखाऊंगा । अध्यापक ने ब्लैक बोर्ड पर लिखना सुरू किया-

9×1=7

9×2=18

9×3=27

9×4=36

9×5=45

9×6=54

9×7=63

9×8=72

9×9=81

9×10=90

अब जैसे ही अध्यापक घूमे तो देखा बच्चे उनकी गलती को देख कर मुस्कुरा रहे थे क्योंकि पहली ही लाइन में उन्होनें गलती कर दी थी । बच्चों मुस्कुराता देख के शिक्षक बोले कि ये गलती मैंने जान बुझकर की है और आज मैं तुमको एक प्रेरक पाठ पढ़ने वाला हूँ । मैने नों लाइन सही लिखी लेकिन आप में से किसी ने मेरी प्रशंसा नहीं की लेकिन जैसे ही मैने एक लाइन गलत लिखी आप सब लोग मेरी मज़ाक उड़ाने लगे। बच्चों जब तुम सही काम कर रहे होते हो तो कोई तुम्हारा प्रशंसा नहीं करता लेकिन तुम अगर एक भी गलती कर दो तो लोग तुम पर हंसने लगते हैं।

तो यह कहानी का शिख यहीं हुआ कि आज कल तो लोग जैसे आपकी गलती का ही अपेक्षया में रहते हैं। लेकिन इन सब बातों से आपको अपना आत्मविश्वास नहीं खोना है बल्कि मजबूत मनोबल के साथ आगे बढ़ते रहना है।


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