श्राद्ध
श्राद्ध
रीमा के सास - ससुर का पहला श्राद्ध था।
रीमा ने उसकी जेठानी के कहे अनुसार सारी तैयारी कर ली थी।
"अरे रीमा तूने पनीर की सब्जी तो बनाई नही! माताजी, पिताजी दोनो को बहुत पसंद थी।उनकी आत्मा कैसे तृप्त होगी। चल पहले पनीर मंगवा ले देवर जी से।मैं बना देती हूं जल्दी से। तू बाकी तैयारी कर।हां पापड़ भी तल लेना। उनकी थाली में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। श्राद्ध तभी पूरा होगा।”
“जी दीदी”, कहकर रीमा मन ही मन सोच रही थी, “काश माताजी-पिताजी जिंदा थे तब कभी जेठानी जी इस तरह से थाली सजाकर खाना खिलाती...”