Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Tripti Dhawan

Drama

4.3  

Tripti Dhawan

Drama

शब्दों की चोट

शब्दों की चोट

2 mins
514


कुछ खास थी वो शाम, ऐसा सोच कर बैठी थी वो पागल सी लड़की। उस शाम कुछ हुआ जिसने उसे हिला कर रख दिया। एक लड़की जो जिम्मेदारियों का बोझ उठा रही थी, ये वो लड़की थी जिसने कभी कोई जिम्मेदारी नही उठाई थी पर अचानक घर की बदलती परिस्थितियों ने उसका जीवन बदल दिया था। 

घर में बड़ों के न रहने पर अचानक से उस लड़की के जीवन से बचपन चला गया। उसका बचपन कुछ यूं गया जैसे किसी ने ठोकर मार कर एक झटके में बाहर फेंक दिया हो और फिर वो कभी नही आया। 

उस शाम जिसे वो खास समझ कर अपनी जिम्मेदारियों को निभा कर घर के अन्य सदस्यों के साथ बैठी थी। पुराने समय की याद में दुखी थी फिर भी सबकी खुशी के लिए हसने का प्रयास कर रही थी तब तक भाई की आवाज आई "अरे ओ नौकरानी" ये वो बहन के लिए थी जो घर की जिम्मेदारियों को अपना कर्तव्य समझ कर निभा रही थी। 

पर आज मानो उसका दिल टूट सा गया था। आसुंओं को थामते हुए अपने सिसकियों का गला घोटते हुए उसने अपनी अंतरात्मा के विद्रोह को दबाते हुए अपने अस्तिव को मारता हुआ देखते हुए भी अपने भाई की बात तो सुन ली। 

पर ये शाम, आज वो शाम बन गई जिसने एक बहन की भावनाओं का कत्ल कर दिया और उसके त्याग को आज व्यर्थ कर दिया। 

शब्दों के ही मोल होते हैं दुनिया में ये समझने में हर कोई सफल नहीं होता। काश शब्दों के महत्व को लोग समझ पाते। 


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