शादी पत्रिका
शादी पत्रिका
मोबाइल के मैसेज की बीप थी-अर्जुन ने मैसेज पढ़ा "thanks for everything "..... दिल टूट ही गया था,आँखें खारे पानी से गीली हो गयी!! गीली आंखों में ही छिपी आरोही की तस्वीर लिये अर्जुन यादों में खो गया।अर्जुन इक साधारण सा लडका था, इक प्रिन्टींग प्रेस में सीनियर मैनेजर का काम करता था। आरोही से उसकी मुलाकात कॉलेज के बाहर हुई। आरोही इक अमीर शहजादी थी, सुंदरता की परिभाषा थी वो। अर्जुन आरोही की मुलाक़ातें बढ़ी प्यार भी बढ़ता गया दोनों बहुत खुश थे। शादी की बात जब भी होती अर्जुन बोलता था अपनी शादी की पत्रिका मैं खुद डिज़ाइन करूँगा अपने हाथों से प्रिंट करुंगा। जीवन में सहसा घुमाव आया और आरोही की ज़िद पर अर्जुन ने आरोही से मंदिर में शादी कर ली। दोनों 3वर्ष साथ रहे सब अच्छा था लेकिन किस्मत में कुछ ओर ही था। आरोही अर्जुन से लड़ने लगी दोनों की बीच दूरियाँ बढ़ गई। अर्जुन नही जानता था कि वजह क्या थी। एक दिन आरोही ने बोला तुम मुझे तलाक दे दो यदि मुझसे प्रेम करते हो तो अर्जुन ने आरोही की खुशी के लिये अपनी ख़ुशियाँ दांव पर लगा दी। 2 साल बीत गये हर पल अर्जुन ने आरोही का ही इंतजार किया। एक दिन अर्जुन का फोन बजा, हैलो -कौन, आगे से आवाज़ नही आई फिर थोड़ी देर बाद "आरोही हूं मैं " मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ। दोनों मिले ओर बात हुई, आरोही जिस हालात से गुज़री ये सुन अर्जुन का दिल पिघल गया पर उसने आरोही का दोबारा साथ दिया दोनों फिर से खुश थे पर विधि के विधान को ये मंज़ूर नही था। एक दिन आरोही ने बताया कि मेरी शादी तय हो गई है। अर्जुन फिर से टूट गया पर आरोही के मन की हर बात जानता था उसकी खुशी के लिये दोबारा अपनी ख़ुशियों का गला घोंटा। इधर आरोही अर्जुन के प्यार को कभी महसूस ना कर सकी। एक दिन आरोही के पिता जी उसी प्रिंटीग प्रेस में आये शादी की पत्रिका छपवाने जहां अर्जुन काम करता था। अर्जुन ने नाम देखा आरोही तो वो समझ गया उसने खुद अपनी आरोही की शादी का कार्ड डिजाइन किया व छापा पर आरोही के संग अर्जुन की जगह किसी और का नाम खुद के हाथ से,,बहुत ही वेदना का पल था। कार्ड तैयार होते ही उसे देख अर्जुन की आँख रो पड़ी लेकिन क्या करता आरोही से सच्चा प्यार जो करता था। उसी शाम को जब अर्जुन घर पर उदास मन से लेटा हुआ था तभी फोन के मैसेज की बीप बजी। उसने देखा मैसेज आरोही का था। मैसेज में लिखा था "thanks for everything". अर्जुन आज टूट चुका था आरोही ने उसके प्यार को, उसकी वेदना को महसूस नही किया पर अर्जुन ने आरोही से सच्चा और अनोखा प्रेम किया।

