शादी के लिए दोस्ती भी चलेगी

शादी के लिए दोस्ती भी चलेगी

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योगेश- कैसी है बहना ? फ़ेसबुक अपडेट देखा अभी तेरा।

दीप्ति- प्लीज् भईया फिर से शुरू मत करना।

योगेश- 5 साल हो गए है।

दीप्ति- मुझसे ज्यादा कौन जानता है ?

दीप्ति- 5 साल 2 महीने 4 दिन और 6 घण्टे।

योगेश- कब तक सिर्फ सो कॉल्ड अच्छी दोस्त रहेगी।

दीप्ती- पता नही,पहले कह देती तो शायद ठीक रहता।

योगेश- अब भी देर नही हुई।

दीप्ति- बात यहाँ जल्दी और देर की है ही नही।

योगेश- फिर ?

दीप्ति- आप क्या जानते नही ?

योगेश- वो सब भूल जा।

दीप्ति- आपके लिए कितना आसान है ना कहना।

योगेश- लेकिन मुझे नही लगता आर्या को उससे फर्क पड़ेगा।

दीप्ति- लेकिन मुझे पड़ता है,लगेगा दोस्ती का फायदा उठा रही हूं।

योगेश- पर तू तो पहले से ही।

दीप्ति- ये आप और मैं जानते है आर्या नही।

योगेश- मैं बात करूं ?

दीप्ति- बिग नो भईया..चलो बाय ऑफिस जाना है।

योगेश- बाय

दीप्ति फोन रख तो देती है पर आँखों के सामने घूम जाते है 5 साल पहले का टाइम जब पहली बार कम्पनी की कैब ने पिक किया था।

और पहली बार देखा था आर्या को।

आर्या- हैलो, नई जॉइनिंग हो ?

दीप्ति- जी

आर्या- वेलकम है,मैं आर्या, ये रमेश हमारे कैब वाले भईया ये अमित और ये शीतल।

दीप्ति- हम्म

आर्या- आपको डॉक्टर ने कम बोलने को कहा है।

पूरी कैब ठहाकों से गूंज जाती है और दीप्ति चिढ़ जाती है।

दीप्ति- मुझे फालतू बातें करना पसंद नही।

आर्या- अच्छा ठीक है, सुन तो लोगी ना क्योंकि मुझे फालतू बोलने की आदत है।

दीप्ति घूर कर देखती है, फिर विंडो से बाहर झांकने लगती हैं।

ऑफिस में डिनर टाइम पर

आर्या- आ जाओ डिनर कर लो।

दीप्ति- मैं कर लुंगी।

आर्या- हम सब साथ मे करते है,

दीप्ति- तो कर लो।

आर्या- लगता है कुछ स्पेशल बनाया है आंटी ने जो नही दिखाना चाहती।

दीप्ति- मैं अकेली रहती हूं, फैमिली मेरठ में है।

आर्या- बहुत हिम्मती हो।

दीप्ति- हिम्मती की क्या बात है ?

आर्या- मुझे अकेले डर लगता है।

दीप्ति- हा हा हा

आर्या- अच्छा तुम हँसती भी हो ?

- इसी तरह करीब 2 महीने गुजर जाते है,रोज साथ आते जाते दीप्ति समझ जाती है आर्या बहुत अच्छा इंसान है।

ऑफिस में सबकी हेल्प करता है सबको हंसाता है इसलिए सबका प्यारा है।

धीरे धीरे वो आर्या को पसन्द करने लगती है।

और फिर एक दिन

दीप्ति- तुम कल से थोड़े चुप हो, क्यों ?

आर्या- कमाल है, पूरे ऑफिस में सिर्फ तुमने ये बात नोटिस की।

दीप्ति- जो पूछा वो बताओ।

आर्या- मैं शादी के बारे में सोच रहा था।

दीप्ति- ओह अच्छा,लड़की मिल गई।

आर्या- मेरी गर्लफ्रैंड है 5 साल से,

दीप्ति- गर्लफ्रैंड ? ? कभी बताया नही।

आर्या- उसके बारे में ज्यादा किसी से बात नही करता मैं।

दीप्ति- तो कर लो शादी, पर अचानक शादी की क्या सूझी।

आर्या- उसके घरवाले उसके लिए रिश्ता ढूंढ रहे है

दीप्ति- अच्छा इसलिए,तो बात बढ़ाओ आगे।

आर्या- घरवाले पता नही मानेंगे या नही ये सोचकर टेंशन है।

दीप्ति- क्यों ?

आर्या- कास्ट अलग है, पापा बहुत स्ट्रिक्ट है इस मामले में।

दीप्ति- तो कोर्ट मैरिज।

आर्या- करूँगा तो घरवालो की मर्जी से वरना आजीवन कुंवारा रहूंगा।

दीप्ति- इतना प्यार करते हो उससे ?

आर्या- बहुत ज्यादा,कंप्यूटर क्लासेज में मिली थी मुझे

पहली नजर में भा गई थी।

दीप्ति आर्या के सामने नॉर्मल दिखने की कोशिश करती है।

पर अंदर से अचानक सब कुछ खाली लगने लगता है वो वाशरूम में जाकर फूट फूट कर रोती है।

और जब बाहर निकलती है।

आर्या- तुम्हारे चेहरे को क्या हुआ ?

दीप्ति- कुछ नही।

आर्या- रोई हो क्या ? पर क्यों ?

दीप्ति- वो..वो मेरे फेस पर ये पिम्पल बढ़ते जा रहे है, सब हंसते है मुझ पर

आर्या- हा हा हा,पागल लड़की एक डॉक्टर का पता बताता हूं वहाँ जाओ।

दीप्ति- पर मैं नई हूं इस शहर में।

आर्या- हम्म चल मैं लेके चलूंगा,मेरी गर्लफ्रैंड के वहीं से सही हुए थे।

- धीरे धीरे दोनो बहुत गहरे दोस्त बन जाते है,दोनो बिना कहे एक दूसरे की तकलीफ समझते और दूर भी करते।

अचानक 6 महीने बाद आर्या ऑफिस आना बंद कर देता है।

फोन भी नही उठाता, दीप्ति बैचैन और परेशान।

2 दिन बाद आर्या ऑफिस आता है।

दीप्ति- इडियट, कहाँ थे तुम ?

आर्या- यहीं था।

दीप्ति- यहीं था मतलब ? ये क्या हुलिया बनाया है ?

आर्या टेबल पर सर रख फूट फूट कर रोने लगता है।

दीप्ति- (घबराते हुए) अरे हुआ क्या है ? प्लीज् बताओ।

आर्या- मेरी गर्लफ़्रेंड की शादी हो गई।

दीप्ति- ऐसे कैसे दो दिनों में सब कुछ।

आर्या- सब कुछ बहुत पहले से प्लान था,उसे सब पता था।

दीप्ति- मैं समझी नही।

आर्या- उसका रिश्ता 3 महीने पहले ही तय हो गया था,मेरे साथ सिर्फ टाइम पास था।

दीप्ति- ओह उसने गलत किया।

आर्या- मैं उससे बहुत बहुत प्यार करता था, पापा से बात करने वाला था पर.

दीप्ति- कोई बात नही,तुम्हे उससे भी अच्छी लड़की मिलेगी।

आर्या- नही मुझे कोई प्यार शादी के चक्कर मे नही पड़ना, आज के बाद कभी मत बोलना ये।

दीप्ति- ठीक है।

आर्या- ध्यान रखना वरना ये दोस्ती भी खत्म हो जाएगी।

आज आर्या और दीप्ति की दोस्ती को 5 साल हो चुके हैं।

आर्या दीप्ति का बहुत ध्यान रखता है, दीप्ति अपने प्यार को दोस्ती के आवरण में छिपाए जी रही है।

दीप्ति का पूरा परिवार इस बारे में जानता है, उन्हें आर्या पसन्द है।

पर दीप्ति पहल करके दोस्ती नही खोना चाहती।

ऑफिस से नाईट शिफ्ट की कैब निकली है।

आर्या- ये बैग कैसा है तुम्हारे पास ?

दीप्ति- आज घर जाना है कुछ जरूरी पेपर लाने है।

आर्या- तो कल सन्डे को जाना।

दीप्ति- पेपर्स का काम सैटरडे को ही हो सकता है।

दीप्ति- संडे को गवर्मेंट ऑफिस बन्द रहते है।

आर्या- लेकिन सुबह के 5 बजे, अकेले स्टेशन पर।

दीप्ति- चली जाऊंगी।

आर्या- बिल्कुल नही,मैं घर से बाइक लेता हूं छोड़ दूंगा।

दीप्ति- कोई नही परेशान मत हो।

आर्या- और तुम जो परेशान होती हो मेरे लिए।

दीप्ति- कब ?

आर्या- जब मेरी तबियत खराब होने पर डबल बर्डन झेल कर मेरा डेस्क वर्क फिनिश करती हो।

दीप्ती- ,बदला उतार रहे हो।

आर्या- तुम्हारी दोस्ती का बदला जिंदगी में नही उतार सकता।

दीप्ति- बस बस रहने दो।

आर्या- सच मे उस वक्त तुम ना सम्भालती तो पता नही जिंदा भी होता या नही।

दीप्ति- ठीक है बाबा घर आ गया ले लो बाइक,पर घरवाले ?

आर्या- सब इस समय गहरी नींद में सोए होते है।

बाइक से दोनो रेलवे स्टेशन की तरफ निकल पड़ते है।

दीप्ति- इतनी गर्मी काश इस समय आइस क्रीम मिल पाती।

आर्या- आइसक्रीम खाओगी ?

दीप्ति- इस समय कौन तुम्हे आइसक्रीम बेचेगा ?

आर्या- देखती जाओ,इस शहर का बाशिंदा हूं मैं।

आर्या एक इंडस्ट्रियल एरिया में बाइक घुमाता है और एक फैक्ट्री के सामने रुकता है।

दीप्ति- ये कहाँ ले आए ?

आर्या- ये है बांकेनगर की आइसक्रीम फैक्ट्री।

दीप्ति- ,अबे पागल, मेरी ट्रेन निकल जाएगी।

आर्या- पहली बात ट्रेन 6 बजे की है।

दीप्ति- दुसरी बात ?

आर्या- ये फैक्ट्री स्टेशन के पीछे ही है माँ, इस गली के क्रॉस करते ही स्टेशन।

दीप्ति- पर ये लोग हमें एक या दो आइस क्रीम क्यों देंगे ?

आर्या- देखती जाओ अब तु

आर्या फैक्ट्री में गेट पर चौकीदार से कुछ बात करता है।

थोड़ी देर में दो आइसक्रीम लिए बाहर आता है।

दीप्ति- ये तुमने कैसे किया ?

आर्या- वो छोड़ो,खा लो जल्दी फिर चलते है।

आर्या, दीप्ति को लेकर उस फैक्ट्री के पीछे बनी गली से निकलता है

दीप्ति ट्रेन से निकल जाती है,अगली सुबह आर्या कॉल करता है

आर्या- और पिम्पल गर्ल घर के खाने के मजे लिए जा रहे होंगे।

दीप्ति पहली बात मैं अब पिम्पल गर्ल नही हूं।

आर्या- सब मेरी मेहरबानी।

दीप्ति- हाँ हाँ ठीक है।

आर्या- तो अब तो घर के खाने के मजे लिए जा रहे होंगे।

दीप्ति- घर का खाना वो तुमने मिस कब करने दिया।

आर्या- अच्छा।

दीप्ति- वो जो हर दूसरे दिन भिंडी और पोहा लाते हो बनवाकर आंटी से।

आर्या- अबे चल

दीप्ति- हा हा हा मेरे लिए ना, मुझे पता है क्योंकि मेरे फेवरेट है वो।

आर्या- ,तुम अपनी मम्मी को मिस करती थी इसलिए।

दीप्ति- हम्म

आर्या- हम्म चलो फिर ठीक है बाय।

दीप्ति- आर्या ?

आर्या- बोलो।

दीप्ति- पहले हम दो दो घण्टे चैट कर लेते थे, अब हमारे पास बातें नही है करने को।

आर्या- उसका एक खास कारण है।

दीप्ति- क्या ?

आर्या- तब हम दोनों की लाइफ उलझनों से भरी थी।

दीप्ति- वो कैसे ?

आर्या- तुम्हारी नई शहर की दस उलझने, मेरी लव लाइफ की 50 उलझने।

दीप्ति- हूं

आर्या- तब हम चैट नही करते थे एक दूसरे को सम्भालते थे।

दीप्ति- हम्म तो एक दूसरे की उलझन सुलझाते थे ? ?

दीप्ति- तो हमारी दोस्ती सिर्फ इस मतलब के लिए थी ?

आर्या- नही हर रिश्ते का एक पीक पॉइंट होता है दीप्ति।

दीप्ति- मतलब ?

आर्या- मतलब जहाँ शब्द और बातें खत्म हो जाती है।

दीप्ति- समझी नही

आर्या- अरे मतलब इस समय रिश्ते में सिर्फ भावनाए रह जाती है नो फ़ालतू गपशप।

दीप्ति- हाँजी ये तो है।

आर्या- हम दो दिन बात ना करे चलेगा।

आर्या- लेकिन दिक्कत में होंगे या ख़ुशी में सबसे पहले एक दूसरे को याद करेंगे।

दीप्ति- अब समझ आ गया मास्टर जी।

आर्या- एक बात बताऊ ?

दीप्ति- हूं।

आर्या- ऑफिस में टारगेट पूरा करने के चक्कर मे बता नही पाया।

दीप्ति- बताओ भी।

आर्या- घरवाले अब शादी के लिए बहुत जिद करने लगे है।

दीप्ति- ओह अच्छा।

आर्या- पर मुझे कुछ समझ नही आ रहा।

दीप्ति- कर लो और क्या बुढ़ापे में करोगे।

आर्या- वही तो, मम्मी परेशान है कहती है 28 का हो गया है।

दीप्ति- सही कहती है आंटी।

आर्या- घर मे क्लेश है, मम्मी पापा का झगड़ा हो रहा है मेरी वजह से।

दीप्ति- करनी तो है ही, लगभग 5 साल हो गए, तुम्हारी गर्लफ़्रेंड अब बाल बच्चेदार होगी।

आर्या- ठीक है आज हाँ कर देता हूं।

दीप्ति- ठीक है बाय।

आर्या- ओके बाय

- आज फिर किस्मत दीप्ति के साथ खिलवाड़ कर गई।

क्या उसका एक तरफा प्यार हमेशा एक तरफा ही रह जायेगा।

आज उसकी हल्की सी झूठी उम्मीद भी टूट गई थी।

रात को आर्या का मैसेज आता है।

आर्या- क्या कर रही हो ?

दीप्ति- गाना सुन रही हूं।

आर्या- अच्छा,कौन सा ?

दीप्ति- मिल के भी हम ना मिले तुमसे ना जाने क्यूँ..

आर्या- हम्म,मैं भी गाना ही सुन रहा था।

दीप्ति- कौन सा ?

आर्या- तेरे आने की जब खबर महके तेरी खुशबू से सारा घर महके।

आर्या- कहाँ हो ?

दीप्ति- मेरठ।

आर्या- क्यों, कल ऑफिस नही आना ?

दीप्ति- तबियत ठीक नही

आर्या- क्या हुआ ? मैं आऊँ वहाँ लेने।

दीप्ति- नही,अब शादीशुदा हो जाओगे पत्नी पिटेगी किसी लड़की को लेकर घूमोगे तो।

आर्या- पहले कोई रिश्ता तो जमे ,अभी तो देखना दिखाना ही चल रहा है।

दीप्ति- हो जाएगा वो भी

आर्या- शादी के बाद हमारी दोस्ती में फर्क पड़ेगा ?

दीप्ति- बिल्कुल,और पड़ना भी चाहिए।

आर्या- क्यों, क्यों पड़ना चाहिए।

दीप्ति- कौन पत्नी चाहेगी उसके पति की उससे ज्यादा किसी और लड़की से पटे।

आर्या- तो एक काम करे तुम मानो तो।

दीप्ति- बोलो

आर्या- हम दोनों आपस मे शादी कर ले।

आर्या- देखो ऑफिस में हमारी अंडरस्टैंडिंग देख सब कहते है कि हमे शादी कर लेनी चाहिए।

दीप्ति- शादी दुसरो के कहने पर नही की जाती आर्या।

आर्या- नही, मुझे लगता है हम अच्छे कपल बनेंगे।

दीप्ति- पर शादी के लिए प्यार जरूरी है।

आर्या- अबे घोंचू जिससे मेरी अरेंज मैरिज होगी उसे तो मैं सही से जानता भी नही होऊंगा।

दीप्ति- पर ?

आर्या- और जिससे मैं प्यार करता था उसने क्या किया ?

दीप्ति- तुम अब भी उससे ?

आर्या- अभी क्या बोला मैंने प्यार करता था।

दीप्ति- हम्म

आर्या- फिर बचा क्या हमारी दोस्ती, क्या पता हम दोनों ही सोलमेट हो

दीप्ति- कुछ अजीब है।

आर्या- क्या ?

दीप्ति- ना प्रोपोज़,ना कसमें वादे सीधा शादी

आर्या- हमारी स्टोरी दुनिया से अलग होगी इसलिए

दीप्ति- पर अंकल मानेंगे, हमारी भी तो कास्ट अलग है और वो घटना।

आर्या- घर मे किसी को कुछ नही पता इस बारे में।

दीप्ति- बाद में पता चला तो ?

आर्या- तब की तब देखेंगे।

दीप्ति- पर कास्ट ?

आर्या- उनका लड़का बुड्ढा होने को है, अब तो कहते है लँगड़ी बहु ले आ पर शादी कर ले।

दीप्ति- हा हा हा

दीप्ति- ठीक है मैं तैयार हूं।

आर्या- और घरवाले ?

दीप्ति- वो तो मुझसे पहले तैयार है।

आर्या- हैं क्या मतलब ?

दीप्ति- मतलब भईया को तुम पहले से ही पसन्द थे।

आर्या- ऐसा क्यों ?

दीप्ति- जिस तरह नए शहर में तुमने मेरी केअर की, मुझे संभाला इसलिए।

आर्या- ओहो तो ये बात थी।

दीप्ति- मैं सब बताती थी घर जाकर सबको।

दीप्ति- फिर मम्मी पापा को भी तुम अच्छे लगे।

आर्या- फिर ?

दीप्ति- लेकिन तुम्हारे पापा की कास्ट को लेकर जो सोच थी सो कभी कोई आगे नही बढ़ा।

आर्या- वो मारा पापड़ वाले को,देखना हम बेस्ट मैरीड कपल बनेंगे।

दीप्ति- हम्म

आर्या- आज रात पापा से बात करूंगा, मुझे पता है वो मान जाएंगे।

दीप्ति- क्यों ?

आर्या- बताया तो इस समय वो सिर्फ मेरी शादी चाहते है मैं किसी से भी करू।

दीप्ति- पहले तुम मुझे एक बात बताओ ?

आर्या- क्या ?

दीप्ति- तुमने आइसक्रीम कैसे ली ?

आर्या- हा हा हा

दीप्ति- हंसो मत बताओ।

आर्या- मैंने गार्ड अंकल से कहा मेरी फ्रेंड ने कल रात दाढ़ निकलवाई है।

दीप्ति- हे भगवान

आर्या- बेचारी कल से दर्द में कुछ खा नही पाई, डॉक्टर ने आइसक्रीम खाने को बोली है।

दीप्ति- ओह मय गॉड, वो मान गया।

आर्या- और क्या ?

दीप्ति- तुम पूरे नौटंकी हो।

दीप्ति- चलो, ठीक है बाय

आर्या- बाय

आर्या रात को अपने पापा से बात करता है, थोड़ी ना नुकुर के बाद वो मान जाते है। दीप्ति उनकी देखी भाली लड़की थी और हर लिहाज से उन्हें आर्या के लायक लगी। आज आर्या और दीप्ति की शादी को एक साल हो गया है और कमाल की बात है कि आज तक उन दोनों ने आई लव यू नहीं कहा।

आज शादी की पहली सालगिरह पर दीप्ति अपने प्यार का इजहार करेगी। लोगों की दोस्ती प्यार और शादी होती है यहाँ सीधा दोस्ती से शादी के बंधन में बंध गए।

क्योंकि अंडरस्टैंडिंग प्यार से ज्यादा जरूरी है।



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